इंदौर में भाजपा के पार्षद जीतू यादव और कमलेश कालरा के बीच विवाद के मामले ने राजनीतिक रूप से चर्चा का विषय बना लिया है। इस विवाद के कारण स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी इसकी जानकारी मांगी है।
इस पर प्रतिक्रिया स्वरूप जीतू यादव ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को अपना इस्तीफा सौंपा है। इस्तीफे में जीतू यादव ने लिखा है कि वह पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता हैं और उनके परिवार व जाटव समाज का भाजपा से गहरा रिश्ता है। यह प्रकरण भाजपा के आंतरिक अनुशासन और समाज के साथ उनके संबंधों को लेकर कई सवाल खड़े कर रहा है। इस्तीफे और विवाद के बाद प्रदेश नेतृत्व और केंद्रीय नेतृत्व की प्रतिक्रिया पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं।
जीतू यादव ने अपने इस्तीफे में यह भी स्पष्ट किया कि हाल ही में पार्टी के एक साथी पार्षद के परिजनों के साथ हुई एक दुखद घटना में उनका नाम जानबूझकर घसीटा गया, जिससे पार्टी की छवि को धूमिल करने की कोशिश की जा रही है।
उन्होंने कहा कि उन्होंने इस मामले में अपनी पूरी स्थिति को पार्टी के शहर अध्यक्ष के समक्ष रखा है और इस षड्यंत्र में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। यादव ने दावा किया कि वह इस विवाद का शिकार हुए हैं और इसे लेकर आहत हैं।
इस घटनाक्रम ने भाजपा के भीतर गुटबाजी और सियासी रणनीतियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब यह देखना होगा कि पार्टी नेतृत्व इस मामले को किस प्रकार से संभालता है और आरोपों की सत्यता को लेकर क्या कदम उठाए जाते हैं।
जीतू यादव ने अपने इस्तीफे में कहा कि वह पार्टी के प्रति अपनी निष्ठा को बनाए रखना चाहते हैं और नहीं चाहते कि उनके कारण भाजपा को किसी भी प्रकार की असहज स्थिति का सामना करना पड़े। इसी भावना के तहत उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और एमआईसी (मायोर इन काउंसिल) से इस्तीफा देने का निर्णय लिया।
यादव ने विश्वास जताया कि पार्टी उनके साथ न्याय करेगी और इस पूरे विवाद की निष्पक्ष जांच होगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि सच्चाई सामने आएगी और मामला उनके पक्ष में हल होगा। यह बयान इस बात का संकेत देता है कि यादव ने पार्टी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और आत्मविश्वास बनाए रखा है, जबकि उनके इस्तीफे ने विवाद को और अधिक राजनीतिक महत्व दे दिया है। अब यह देखना होगा कि भाजपा नेतृत्व इस मामले पर क्या निर्णय लेता है और पार्टी में व्याप्त तनाव को कैसे कम करता है।