चम्बल के बीहड़ों में बसने वाले दुर्दांत डकैतों ने कभी माँ, बेटी, बहन या बच्चों पर जुल्म नहीं किए… गिरोह का कोई सदस्य गलती से किसी महिला को उठा लाता या गलत व्यवहार करता तो सरदार तुरंत सबक सिखाता… यही फॉर्मूला मुंबई के अंडरवर्ड ने भी अपनाया… तमाम मार-काट ,खून-खराबे और एक दूसरे को गोली मारने वाली गैंग अपने प्रतिद्वंद्वी के परिवार तक नहीं पहुंचती… यानि बीहड़ और अंडरवर्ड ने एक अलिखित मर्यादा का पालन किया… मगर नेता जी के इंदौरी गुंडों ने उनको भी शर्मसार कर दिया…
महापौर परिषद् माननीय के कुकर्म इंदौर से दिल्ली तक चर्चा में हैं..सूत्रों के मुताबिक़ पीएमओ ने इस पर रिपोर्ट तलब की.., जिसके चलते जीतू जाटव उर्फ यादव को अपना इस्तीफा देना पड़ा.. और पार्टी ने भी 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया.. उसके पहले मुख्यमंत्री ने जो सख्ती दिखाई ,वो भी आधी अधूरी थीं.. इसी तरह काबिना मंत्री ने जहां घटना को शर्मसार करने वाला तो बताया मगर जीतू को तुरंत बाहर करने की बात नहीं की… इसी तरह हफ्ते भर लेट अपने पीडि़त पार्षद के घर पहुंचे महापौर भी खामोश रहे… जबकि होना तो यह था कि अपनी गलती सुधारते हुए महापौर को तुरंत संगठन से बात कर जीतू को महापौर परिषद् से हटा देना था…
इधर पुलिस ने आठ आरोपियों को गिरफ्तार किया बाकि की तलाश जारी है… वहीं इंदौर बचाओ मंच ने जनाक्रोश यात्रा निकालने की घोषणा कर दी… सवाल यह है कि सत्ता और प्रदेश भाजपा संगठन ने निर्णय लेने में इतनी देरी क्यों लगाई.. मिनटों में कार्रवाई होना थी.. उधर संघ भी चुप्पी साधे रहा, जबकि पीडि़त बच्चा संघ शाखा में नियमित जाता रहा है… संघ से कोई बयान क्यों नहीं आया…ये तो गनीमत है कि पीडि़त परिवार की लड़ाई इंदौर के मीडिया ने दमदारी से लड़ी , जिसके कारण ये कार्यवाही भी हुई … वरना दो-चार दिन हल्ला मचने के बाद भिया जी विजय जुलूस निकालते नजर आते… जिस तरह जघन्यतम् अपराधों को अदालत रेयर ऑफ द रेयरेस्ट मान कठोर सजा सुनाती है, उसी तरह इंदौर का ये जघन्य कृत्य भाजपा की सत्ता और संगठन के लिए रेयर ऑफ द रेयरेस्ट श्रेणी में आना चाहिए था… मगर चाल-चरित्र और चेहरे की बात करने वाली पार्टी की शुरुआती खामोशी ने तमाम सवाल खड़े किए…
इंदौर पुलिस भी किस तरह दबाव में रही , वह भी इस प्रकरण से साफ हो गया… पिछले दिनों पकड़े कई गुण्डे टूटे-फूटे मिले और उनके जुलूस भी निकले..जबकि इस मामले में गिरफ्तार सभी आरोपी सही-सलामत जेल भिजवा दिए गए… मां अहिल्या की नगरी पर इस प्रकरण से जो कालिख पुती है, उसके पाप के भागीदार वे सभी जिम्मेदार है, जो खामोशी की चादर ओढ सोते रहे.. यहां तो लानत शब्द भी छोटा है शायद . @ *राजेश ज्वेल*