युवा शक्ति मिशन लॉन्च, CM Mohan Yadav बोले- शिक्षा के बगैर जिंदगी अधूरी

स्वतंत्र समय, भोपाल

स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन (युवा दिवस) पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ( CM Mohan Yadav ) ने स्वामी विवेकानंद युवा शक्ति मिशन लॉन्च किया। सीएम ने कहा-2028 तक मप्र के 70 प्रतिशत से ज्यादा युवाओं के लिए रोजगार उपलब्ध कराने का प्रयास करेंगे। इस मिशन का ये बड़ा लक्ष्य है। शिक्षा के बगैर जिंदगी अधूरी है। शिक्षा के लिए कॉलेज जाएं, पीजी करें, इसकी जरूरत भी नहीं हैं। मुख्यमंत्री यादव ने कहा- कॉलेज की शिक्षा के पहले जीवन में बहुत सारे दरवाजे हैं। कई ऐसे नाम हैं कोई जरूरी नहीं वो ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन तक गए। जीवन की धारा बीच में कहीं और मोड़ी। सचिन तेंदुलकर इसका एक उदाहरण हैं। हमारी युवा शक्ति कॉलेज जाए, पढ़े लेकिन जिसे उच्च शिक्षा में रुचि है वो वहां रिकॉर्ड बनाए। लेकिन, जिसकी आजीविका का प्रश्न है तो वह अपनी क्षमता पहचान कर जिस क्षेत्र में चाहे वहां आगे बढ़े। तकनीक के बल पर छोटे-छोटे देश दुनिया में अपनी पहचान बना रहे हैं। मुख्य सचिव अनुराग जैन ने स्वामी विवेकानंद युवा शक्ति मिशन का शुभारंभ किया।

समाज सिर्फ चार हिस्सों में सिमट जाता है

डॉ. यादव ( CM Mohan Yadav ) ने कहा कि जब हम युवा मिशन की बात कर रहे हैं, तो हममें से कई लोगों के बड़े आदमी बनने के सपने होंगे। डॉक्टर, वकील, इंजीनियर, उद्योगपति, खिलाड़ी, जिस क्षेत्र में हम जाना चाहते हैं। सरकार के माध्यम से जो युवा समाज के सपने साकार कैसे किया जाए। इस मिशन के माध्यम से कोशिश की जाएगी। सरकार के अलग-अलग मंत्रालयों के माध्यम से काम करने के लिए आगे बढ़ती है तो केवल चार हिस्सों में हमारा समाज सिमट जाता है। वो चार समाज हैं गरीब, किसान, युवा, महिला। सीएम यादव ने कहा- सरकार के मंत्रालयों में इनसे बाहर कोई काम नहीं है। युवा असीम ऊर्जा का स्रोत होता है, लेकिन युवा को दिशा देने की जरूरत है। हम आप मिलकर क्या कर सकते हैं? केवल कागज की डिग्री लेकर, स्कूल-कॉलेज के सर्टिफिकेट के भरोसे हमारा जीवन धन्य हो जाएगा, यह असंभव बात है।

जिंदगी से जब विरक्ति हुई तो विवेकानंद को पढ़ा

मुख्य सचिव अनुराग जैन ने कहा कि आज स्वामी विवेकानंद का जन्मदिवस है। आज हम युवा शक्ति मिशन शुरू कर रहे हैं। विवेकानंद जी मेरे प्रेरणास्त्रोत रहे हैं। एक समय मेरी जिंदगी में ऐसा आया था, जब मुझे जिंदगी से बिल्कुल विरक्ति हो चुकी थी। तब विवेकानंद जी की किताबें और विचार पढक़र, साथ ही गीता और जैन धर्म के जो कर्म के सिद्धांत हैं, उन्हें पढ़ा। उसके बाद मैंने निर्णय किया कि मैं पब्लिक सर्विस में आऊं। क्योंकि उस वक्त मेरे पास पैसा बहुत था, लेकिन जिंदगी में करने को कोई चैलेंज नहीं लगता था। इन किताबों ने मेरी जिंदगी की पूरी दिशा बदल दी।