Mahakumbh 2025 : महाकुंभ की भव्य शुरुआत हो चुकी है, और संगम तट पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा है। कड़ाके की ठंड के बावजूद देश-विदेश से लाखों भक्त आस्था की डुबकी लगाने के लिए पहुंचे हैं। कुंभ मेला क्षेत्र दिव्य सजावट और भव्य तैयारियों से आलोकित हो गया है, जहां चारों ओर आध्यात्मिकता का प्रकाश और धर्म की गूंज सुनाई दे रही है। आज मकर संक्रांति के पावन अवसर पर अखाड़ों का अमृत स्नान विशेष आकर्षण का केंद्र है, जो करीब साढ़े नौ घंटे तक चलेगा। संतों और अखाड़ों के शिविरों से संगम तक जाने और लौटने में 12 घंटे से भी अधिक समय लग रहा है। कुंभ का यह नज़ारा श्रद्धा और भक्ति का अनुपम संगम प्रस्तुत कर रहा है।
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेले में भाग ले रहे एक विदेशी श्रद्धालु ने इसे न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व के लिए एक विशेष अवसर बताया। उन्होंने कहा कि महाकुंभ अद्वितीय धार्मिक और सांस्कृतिक समागम है, जो आध्यात्मिकता, आस्था और मानवता का संदेश पूरे संसार में फैलाता है। यह आयोजन भारत की प्राचीन परंपराओं और विश्वभर के श्रद्धालुओं को जोड़ने का माध्यम बनता है। महाकुंभ में शामिल होकर उन्होंने भारतीय संस्कृति की विशालता और उसकी गहरी आध्यात्मिकता को महसूस किया, जो उनके लिए एक अविस्मरणीय अनुभव है।
मकर संक्रांति के पावन अवसर पर प्रयागराज महाकुंभ में आनंद अखाड़ा के आचार्य मंडलेश्वर बालकानंद जी महाराज ने पहले अमृत स्नान के लिए भव्य जुलूस का नेतृत्व किया। उनके साथ 13 अखाड़ों के साधु और संत भी संगम तट पर पहुंचे। गंगा, यमुना और ‘रहस्यमय’ सरस्वती नदियों के पवित्र त्रिवेणी संगम पर साधु-संतों ने आस्था और श्रद्धा के साथ पवित्र डुबकी लगाई। यह दृश्य अध्यात्म, धर्म और संस्कृति का अनुपम संगम प्रस्तुत कर रहा है, जहां लाखों श्रद्धालु इस दिव्य अवसर का हिस्सा बनने के लिए उमड़े हैं। कुंभ के इस अद्वितीय स्नान ने धार्मिक उल्लास और आध्यात्मिक ऊर्जा का वातावरण रच दिया है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक्स पर महाकुंभ-2025 की तस्वीरें साझा करते हुए इसे सनातन संस्कृति और आस्था का जीवंत स्वरूप बताया। उन्होंने लिखा कि आस्था के महापर्व ‘मकर संक्रांति’ के पावन अवसर पर प्रयागराज के त्रिवेणी संगम पर प्रथम अमृत स्नान कर पुण्य अर्जित करने वाले सभी श्रद्धालुओं को हार्दिक बधाई। मुख्यमंत्री ने इस अवसर को भारतीय परंपरा और धर्म की विशिष्टता का प्रतीक बताते हुए श्रद्धालुओं की आस्था और भक्ति की सराहना की। महाकुंभ की भव्यता और दिव्यता को उन्होंने भारत की सांस्कृतिक विरासत का गौरव बताया।