गुइलेन-बैरी सिंड्रोम का खतरा बढ़ा! जयपुर में नए मामले, महाराष्ट्र में पहली मौत का दावा

देश में गुइलेन-बैरी सिंड्रोम (GBS) के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है। राजस्थान के जयपुर में बुधवार को तीन नए मरीज सामने आए, जिससे स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो गया है। सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज (SMS) की लैब रिपोर्ट में मरीजों में कैम्पिलोबैक्टर संक्रमण की पुष्टि हुई है, जो GBS का प्रमुख कारण माना जाता है।

GBS क्या है और क्यों खतरनाक है?

गुइलेन-बैरी सिंड्रोम एक गंभीर न्यूरोलॉजिकल बीमारी है, जिसमें शरीर की इम्यून सिस्टम गलती से खुद के पेरिफेरल नर्वस सिस्टम पर हमला करने लगती है। इससे मरीज को मांसपेशियों में कमजोरी, सुन्नपन और पैरालिसिस जैसी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है। करीब 30% मरीजों में सांस लेने में तकलीफ होती है, जिससे स्थिति और गंभीर हो सकती है।

जयपुर में तीन मरीज, महाराष्ट्र में पहली मौत का दावा!

जयपुर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (NIMS) में GBS के तीन मरीजों की पहचान हुई है। SMS मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. दीपक माहेश्वरी ने पुष्टि की है कि तीनों मरीजों की हालत स्थिर है और उनका इलाज जारी है।

इसी बीच, महाराष्ट्र के सोलापुर में GBS से पहली मौत का मामला सामने आया है। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग ने अभी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है। 26 जनवरी तक महाराष्ट्र में GBS के 101 सक्रिय मरीज हैं, जिनमें 81 मामले सिर्फ पुणे से हैं।

कैसे बचें GBS से? खान-पान में सावधानी बेहद जरूरी!

GBS का मुख्य कारण गंदगी और दूषित खान-पान माना जाता है। यह बीमारी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर लकवे का कारण बन सकती है।

क्या करें?
✔ साफ-सुथरा और ताजा भोजन करें
✔ दूषित पानी और अस्वच्छ खाने से बचें
✔ इम्यूनिटी को मजबूत रखने के लिए हेल्दी डाइट लें

GBS का इलाज:
अधिकतर मरीज 2-3 महीनों में ठीक हो जाते हैं, लेकिन इसके लिए IVIG इंजेक्शन और अन्य इलाज की जरूरत होती है।