स्वतंत्र समय, नई दिल्ली
साल 2024 में गर्मी ( heat ) के भीषण तांडव के बाद 2025 में भी गर्मी अपना कहर बरपाएगी। ये दावा भारत मौसम विज्ञान विभाग की तरफ से किया गया है। आईएमडी ने कहा है कि जनवरी के बाद फरवरी में तापमान ज्यादा रहने और सूखा का भी प्रकोप देखने को मिलेगा।
आईएमडी ने heat को लेकर जताया अनुमान
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने शुक्रवार को कहा कि जनवरी के गर्म और शुष्क रहने के बाद, फरवरी में भारत के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक तापमान और सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है। फरवरी में बारिश 22.7 मिमी की लंबी अवधि के औसत (1971-2020) के 81 प्रतिशत से कम होने की संभावना है।
सामान्य से कम बारिश होने की संभावना
आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने कहा कि पश्चिम-मध्य, प्रायद्वीपीय और उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ क्षेत्रों को छोडक़र देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है। उत्तर-पश्चिम और प्रायद्वीपीय भारत के कुछ हिस्सों को छोडक़र अधिकांश क्षेत्रों में फरवरी में न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक रहने की उम्मीद है। इसी तरह, पश्चिम-मध्य और प्रायद्वीपीय भारत के कुछ हिस्सों को छोडक़र अधिकांश क्षेत्रों में अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है।
जनवरी में औसतन 4.5 मिमी बारिश
आईएमडी के महानिदेशक आगे बताया कि भारत में जनवरी में औसतन 4.5 मिमी बारिश हुई, जो 1901 के बाद से चौथी सबसे कम और 2001 के बाद तीसरी सबसे कम बारिश है। जनवरी में देश का औसत तापमान 18.98 डिग्री सेल्सियस रहा, जो 1901 के बाद से इस महीने का तीसरा सबसे अधिक तापमान था, जो 1958 और 1990 के बाद सबसे अधिक था। भारत ने 1901 के बाद से अपना सबसे गर्म अक्तूबर 2024 में भी दर्ज किया, जिसमें मासिक औसत तापमान सामान्य से लगभग 1.2 डिग्री सेल्सियस अधिक था। नवंबर 1979 और 2023 के बाद 123 वर्षों में तीसरा सबसे गर्म नवंबर रहा।
रबी फसलों के महत्वपूर्ण है सर्दियों की बारिश
इससे पहले, आईएमडी ने भविष्यवाणी की थी कि जनवरी और मार्च के बीच उत्तर भारत में बारिश सामान्य से कम होगी, जो 184.3 मिमी के एलपीए के 86 प्रतिशत से भी कम होगी। पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश जैसे उत्तरी और उत्तर-पश्चिमी राज्य सर्दियों (अक्तूबर से दिसंबर) में गेहूं, मटर, चना और जौ जैसी रबी फसलों की खेती करते हैं और गर्मियों (अप्रैल से जून) में उनकी कटाई करते हैं। मुख्य रूप से पश्चिमी विक्षोभ के कारण होने वाली सर्दियों की बारिश इन फसलों की बढ़ोतरी के लिए महत्वपूर्ण है।