भारतीय मध्यम वर्ग के लिए यह जश्न का समय है। एक फरवरी को 12 लाख रुपये तक की आय कर मुक्त होने की खुशखबरी का जश्न मनाया जा रहा है, वहीं एक सप्ताह में एक और बड़ी सौगात मिलने वाली है। यह तोहफा सिर्फ मध्यम वर्ग की जेबें भरेगा। पहले मिले लोन की EMI सस्ती होने जा रही है।
भविष्य में अगर आप होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन लेना चाहेंगे तो ये भी सस्ती दरों पर उपलब्ध होंगे। रिजर्व बैंक रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती करने की तैयारी कर रहा है। इसके बाद बैंकों को ऋण दरें कम करनी होंगी। इस संबंध में निर्णय 7 फरवरी को रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक में लिया जाएगा।
रिजर्व बैंक की रेपो रेट घटाने की तैयारी का मकसद लोन सस्ता करना और ईएमआई सस्ती करना है। इतनी नकदी लोगों के हाथ में रहेगी। इससे लोग अपनी घरेलू खपत बढ़ाएंगे और बाजार में मांग बढ़ेगी, जिससे अर्थव्यवस्था को बूस्टर डोज मिलने का मौका मिलेगा। विशेषज्ञों के अनुसार रिजर्व बैंक दो साल में पहली बार ब्याज दरों में बदलाव करने जा रहा है।
रेपो दर फिलहाल 6.5 प्रतिशत पर स्थिर है, जो फरवरी 2023 से अपरिवर्तित है। इससे पहले, कोविड-19 महामारी के दौरान मई 2020 में दरें कम की गई थीं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार रेपो रेट में कटौती की संभावना अधिक है। क्योंकि, आरबीआई पहले ही 1.5 लाख करोड़ रुपये तक नकदी बढ़ाने के लिए कदम उठा चुका है। इससे उधार लेने की लागत कम हो सकती है, जिससे बाजार की स्थिति मजबूत होगी।
विशेषज्ञों के अनुसार, खुदरा कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति की दर इस वर्ष घटकर चार प्रतिशत के आसपास रह सकती है। ऐसे में रिजर्व बैंक को ब्याज दरें कम करने में कोई दिक्कत नहीं आनी चाहिए। किसी भी मामले में, नए रिजर्व बैंक गवर्नर संजय मल्होत्रा का रुख पिछले गवर्नर शक्तिकांत दास के रुख से विपरीत है। उनकी नीतियां मुद्रास्फीति से डरने के बजाय अर्थव्यवस्था को समर्थन देने पर केंद्रित हैं। इसलिए उसे रेपो दर कम करने में डर नहीं लगेगा।