डेली कॉलेज ने BRIDGE प्रोग्राम के तहत यूके के चार प्रतिष्ठित स्कूलों के 8 प्रतिनिधियों का गर्मजोशी से स्वागत किया। यह दौरा वैश्विक शिक्षा प्रणाली को समझने और परस्पर सहयोग के नए अवसर तलाशने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था। इस अवसर पर प्रतिनिधियों ने अपने-अपने संस्थानों की शिक्षण पद्धतियों और शैक्षिक दृष्टिकोण को साझा किया, जिससे विद्यार्थियों और शिक्षकों को यूके की शिक्षा प्रणाली को करीब से जानने का अवसर मिला।
प्रतिनिधिमंडल का स्वागत डेली कॉलेज के चेयरमैन श्री विक्रम सिंह पंवार, बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के सदस्य श्री धीरेज लुल्ला और प्रिंसिपल श्रीमती गुनमीत बिंद्रा ने किया। इस अवसर पर श्रीमती गुनमीत बिंद्रा ने डेली कॉलेज की वैश्विक शिक्षा को लेकर दूरदृष्टि प्रस्तुत की और इस पर विचार किया कि कैसे भारत और यूके मिलकर शिक्षा के क्षेत्र में प्रभावशाली बदलाव ला सकते हैं। उन्होंने दोनों देशों के शैक्षणिक संस्थानों के बीच सहयोग और ज्ञान-विनिमय के महत्व को रेखांकित किया।
सीमाओं से परे शिक्षा: एक नई पहल
इस संवाद के दौरान वैश्विक शिक्षा प्रणाली के उभरते रुझानों पर चर्चा हुई और दोनों देशों के शिक्षकों ने अपने अनुभव साझा किए। इस कार्यक्रम ने भविष्य में शिक्षा क्षेत्र में सहयोग के नए द्वार खोलने की संभावनाओं को भी सशक्त किया।
डेली कॉलेज में इस कार्यक्रम के दौरान निम्नलिखित प्रतिष्ठित प्रतिनिधि उपस्थित रहे:
🔹 एलीस नटाल – हेड टीचर, Modern Foreign Languages
🔹 एरिका एंडर्स – असिस्टेंट हेडटीचर, Park Community
🔹 जूली समरफील्ड – हेडटीचर, Horndean Technology College
🔹 लेला सारा फनेल – असिस्टेंट हेडटीचर, Horndean Technology College
🔹 मार्क डिक्सन – असिस्टेंट हेडटीचर, Oaklands Catholic School
🔹 डॉ. मिशेल एल्ड्रिज – हेड टीचर, Prospect School
🔹 थॉमस जॉर्ज सांडर्स – डिरेक्टर, Global School Exchanges
🔹 ज़ो स्पेंसर – असिस्टेंट हेडटीचर, Horndean Technology College
डेली कॉलेज का संकल्प: वैश्विक शिक्षा को नई दिशा
डेली कॉलेज हमेशा से अपने छात्रों को व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करने और वैश्विक मंच पर उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के लिए प्रयासरत रहा है। इस अंतरराष्ट्रीय शैक्षिक आदान-प्रदान ने “सीमाओं से परे शिक्षा” की अवधारणा को और सशक्त किया, जिससे छात्रों और शिक्षकों को एक समृद्ध वैश्विक अनुभव मिला।
यह सहयोग भविष्य में शिक्षा के क्षेत्र में नए अवसरों का निर्माण करेगा और दोनों देशों के बीच ज्ञान-साझाकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।