किन्नर अखाड़ा में मचा घमासान! Mamta Kulkarni ने छोड़ा किन्नर अखाड़े का महामंडलेश्वर पद

फिल्मी दुनिया से सन्यास लेकर आध्यात्मिक मार्ग अपनाने वालीं श्रीयामाई ममतानंद गिरि (पूर्व में ममता कुलकर्णी) ने किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर की उपाधि छोड़ने की घोषणा कर दी है। अपने वीडियो संदेश में उन्होंने बताया कि उनके महामंडलेश्वर बनने के बाद से ही किन्नर अखाड़ा और परी अखाड़ा की जगद्गुरु हिमांगी सखी के बीच विवाद चल रहा था, जो हिंसा तक पहुंच गया। मारपीट की खबरों से आहत होकर उन्होंने यह बड़ा फैसला लिया। हालांकि, किन्नर अखाड़ा ने उनके त्यागपत्र को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है।

महामंडलेश्वर बनने के बाद बढ़ा विवाद

24 जनवरी को किन्नर अखाड़ा में उनका पट्टाभिषेक किया गया था, जहां आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने उन्हें नया नाम “श्रीयामाई ममतानंद गिरि” प्रदान किया। लेकिन यह निर्णय कई संतों को रास नहीं आया। शांभवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप और जगद्गुरु हिमांगी सखी समेत कई संतों ने विरोध जताया। उनका आरोप था कि ममता कुलकर्णी का अंडरवर्ल्ड से संबंध रहा है और उनके खिलाफ देशद्रोह का मामला भी दर्ज है। ऐसे में उन्हें महामंडलेश्वर बनाना सनातन परंपरा के खिलाफ है।

मारपीट की घटना बनी वजह

शनिवार रात को इस विवाद ने हिंसक रूप ले लिया जब हिमांगी सखी पर हमले की खबर सामने आई। आरोप लगे कि लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के अनुयायियों ने हिमांगी सखी को ममता के विरोध के चलते पीटा। इस घटना से व्यथित होकर ममतानंद गिरि ने सोमवार को वीडियो जारी कर पद छोड़ने की घोषणा कर दी।

“हमेशा साध्वी रहूंगी” – ममतानंद गिरि

अपने संदेश में उन्होंने कहा, “मैं पिछले 25 वर्षों से एक साध्वी की तरह तपस्या कर रही हूं और हमेशा साध्वी रहूंगी। मेरे गुरु श्रीचैतन्य गगन गिरि सिद्ध पुरुष थे, लेकिन आज के धर्मगुरु अहंकार में डूबे हैं और आपस में झगड़ रहे हैं, जिससे मेरा मन आहत हुआ है।”

उन्होंने हिमांगी सखी पर कोई टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा कि उनका ब्रह्म विद्या से कोई लेना-देना नहीं है। साथ ही, डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के प्रति सम्मान प्रकट किया।

“करोड़ों रुपये देने का आरोप निराधार”

इस बीच, ममतानंद गिरि ने इस आरोप को भी खारिज किया कि महामंडलेश्वर बनने के लिए उन्होंने किन्नर अखाड़ा को 5-10 करोड़ रुपये दिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि संस्कार के लिए मात्र 2 लाख रुपये मांगे गए थे, जो उन्होंने नहीं, बल्कि जूना अखाड़ा की महामंडलेश्वर जय अंबानंद गिरि ने दिए थे।

किन्नर अखाड़ा ने किया इनकार

किन्नर अखाड़ा की आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा कि उन्हें ममतानंद गिरि का त्यागपत्र प्राप्त नहीं हुआ है, और यदि आएगा भी तो स्वीकार नहीं किया जाएगा। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “अगर ममता इस्लाम या ईसाई धर्म अपना लेती, तो कोई सवाल नहीं उठता, लेकिन सनातन धर्म में महामंडलेश्वर बनने पर विवाद खड़ा कर दिया गया। इसी मानसिकता के कारण सनातन धर्म का स्वरूप सिमटता जा रहा है।”

यह पूरा घटनाक्रम दिखाता है कि सनातन धर्म के भीतर भी मान्यताओं और परंपराओं को लेकर खींचतान जारी है। अब देखना यह होगा कि ममतानंद गिरि के इस फैसले से किन्नर अखाड़ा और संन्यास परंपरा में क्या नया मोड़ आता है।