प्रधानमंत्री मोदी और ट्रंप के बीच आज ऐतिहासिक मुलाकात, अमेरिकी NSA से भी मिलें PM, इन मुद्दों पर हुई चर्चा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच आज एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक मुलाकात होने वाली है। पीएम मोदी, ट्रंप के शपथ ग्रहण के बाद उनसे मिलने वाले चौथे नेता हैं। अब तक, ट्रंप ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा और जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला से मुलाकात की थी।

इस मुलाकात में कुछ संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है, खासकर व्यापार से जुड़े मामलों पर। ट्रंप ने पीएम मोदी के लिए एक निजी डिनर भी आयोजित किया है और यात्रा के दौरान एलन मस्क जैसे प्रमुख उद्योगपतियों से भी उनकी मुलाकात हो सकती है।

ट्रंप के साथ बैठक से पहले NSA माइकल वाल्ट्ज से चर्चा

पीएम मोदी की ट्रंप से मुलाकात से पहले, अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइकल वाल्ट्ज ने प्रधानमंत्री से वाशिंगटन डीसी के ब्लेयर हाउस में मुलाकात की। इस बैठक में भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी शामिल हुए। इसके बाद, पीएम मोदी एलन मस्क से भी मुलाकात करेंगे।

ट्रंप की प्रेस कॉन्फ्रेंस और टैरिफ पर चर्चा

आज रात 11:30 बजे (भारतीय समय) डोनाल्ड ट्रंप एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे, जिसमें वे नए पारस्परिक टैरिफ की घोषणा कर सकते हैं। ट्रंप ने इससे पहले अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस बारे में संकेत दिया है, जिसमें उन्होंने लिखा कि “आज सबसे बड़ा दिन है” और पारस्परिक टैरिफ पर ध्यान केंद्रित किया।

पारस्परिक टैरिफ नीति की घोषणा

पारस्परिक टैरिफ एक ऐसी नीति है, जो अमेरिका द्वारा अन्य देशों से आयात किए गए सामान पर लगाए गए शुल्क के आधार पर लागू होती है। ट्रंप ने इसे “एक टैरिफ के बदले एक टैरिफ” के रूप में प्रचारित किया था, यानी अगर कोई देश अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क लगाता है, तो अमेरिका भी उसी दर से उन देशों से आयातित वस्तुओं पर शुल्क लगाएगा।

भारत को ‘टैरिफ किंग’ कह चुके हैं ट्रंप

वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार, ट्रंप ने भारत को ‘टैरिफ किंग’ करार दिया है, क्योंकि भारत का औसत आयात शुल्क 14% है, जो चीन और कनाडा से अधिक है। यदि भारत अमेरिकी उत्पादों पर 25% शुल्क लगाता है, तो अमेरिका भी भारत से आयातित वस्तुओं पर वही शुल्क लागू करेगा। इस नई नीति के चलते, भारत और थाईलैंड जैसे देशों पर अतिरिक्त शुल्क लग सकता है, जो पहले से ही अमेरिकी उत्पादों पर उच्च शुल्क लगाते आए हैं।

आर्थिक चिंताएँ और वैश्विक प्रभाव

यह नई नीति वैश्विक व्यापार के लिए एक चुनौती हो सकती है, क्योंकि इससे उभरते हुए देशों से आने वाले उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क लागू हो सकता है। आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि इससे वैश्विक व्यापार में जटिलताएँ बढ़ सकती हैं।