Shiv Navratri 2025: उज्जैन में आज से शिवनवरात्र शुरू, निराकार रूप को साकार करते हैं विशिष्ट दिव्य शृंगार

Shiv Navratri 2025: ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में आज से शिवनवरात्र का शुभारंभ हो गया है, और इस बार तिथि वृद्धि के कारण यह उत्सव 11 दिनों तक चलेगा। भगवान महाकाल को हर्बल उत्पादों से दूल्हा रूप में विशेष रूप से श्रृंगारित किया गया। इस अलौकिक श्रृंगार में मलयागिरि चंदन, हल्दी से बने कुमकुम और फूलों से बने गुलाल का उपयोग किया जा रहा है। मंदिर समिति ने यह निर्णय उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति के सुझावों के आधार पर लिया है, जिससे भगवान महाकाल के अभिषेक और श्रृंगार में प्राकृतिक तत्वों का अधिक उपयोग हो सके। भक्तों की भारी भीड़ इस भव्य आयोजन की साक्षी बनी, और पूरे मंदिर परिसर में श्रद्धा और भक्ति का माहौल बना हुआ है।

महाकाल मंदिर की पूजन परंपरा के अनुसार फाल्गुन कृष्ण पंचमी से चतुर्दशी तक शिव विवाह उत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। इस उत्सव के दौरान भगवान महाकाल की विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी, जिसमें श्रद्धालु बड़ी संख्या में भाग लेंगे। भगवान के दिव्य श्रृंगार और पूजन के लिए मंदिर समिति ने विशेष प्रबंध किए हैं, जिसमें शुद्ध एवं हर्बल पूजन सामग्री का उपयोग सुनिश्चित किया गया है। पूरे मंदिर परिसर में भक्ति और उत्साह का माहौल बना हुआ है, और श्रद्धालु इस पावन अवसर पर भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उमड़ रहे हैं।

महाकाल मंदिर में शिव विवाह उत्सव की तैयारियों के तहत पूजन और अभिषेक के लिए उच्च गुणवत्ता की सामग्री का विशेष प्रबंध किया गया है। स्थानीय विक्रेताओं से शुद्ध और उत्तम गुणवत्ता की हल्दी, कुमकुम, अबीर, गुलाल और चंदन खरीदा गया है, ताकि भगवान महाकाल के श्रृंगार में पारंपरिक पवित्रता बनी रहे। अभिषेक के लिए खांडसारी शकर का उपयोग किया जाएगा, जिससे जल चढ़ाने की प्रक्रिया अधिक शुद्ध और पारंपरिक बनी रहे। इसके अलावा, फलों के रस को भी विशेष निगरानी में तैयार कराया जा रहा है, ताकि पूजन विधि में उच्चतम मानकों का पालन किया जा सके।

महाकाल मंदिर में शिवनवरात्र उत्सव के दौरान भगवान महाकाल विभिन्न दिव्य रूपों में भक्तों को दर्शन देंगे। 17 फरवरी को चंदन शृंगार से शुरुआत होगी, जिसके बाद 18 फरवरी को दिव्य चंदन शृंगार होगा। 19 फरवरी को भगवान शेषनाग शृंगार में, 20 फरवरी को घटाटोप शृंगार में और 21 फरवरी को होलकर शृंगार में भक्तों को दर्शन देंगे। 22 फरवरी को छबीना शृंगार, 23 फरवरी को मनमहेश शृंगार और 24 फरवरी को उमा महेश शृंगार किया जाएगा। 25 फरवरी को भगवान शिवतांडव शृंगार में प्रकट होंगे, जबकि 26 फरवरी को सतत जलधारा अर्पित की जाएगी। अंत में, 27 फरवरी को सप्तधान्य शृंगार के साथ इस दिव्य उत्सव का समापन होगा।

शिवनवरात्र के दौरान विशेष पूजा-अर्चना के अनुक्रम के कारण महाकाल मंदिर की दैनिक आरती के समय में परिवर्तन किया गया है। सामान्य दिनों में सुबह 10:30 बजे होने वाली भोग आरती अब सोमवार से दोपहर 1 बजे होगी, जबकि संध्या पूजा शाम 5 बजे के बजाय दो घंटे पहले, यानी दोपहर 3 बजे संपन्न की जाएगी। इस पावन अवसर पर मंदिर के पुजारी उपवास रखकर भगवान महाकाल की आराधना करेंगे, जिससे पूजा विधि की पवित्रता और आध्यात्मिक महत्व और अधिक बढ़ जाएगा। श्रद्धालु भी विशेष अनुष्ठानों और आरती में भाग लेकर इस दिव्य अवसर का लाभ उठा सकेंगे।