स्वतंत्र समय, भोपाल
प्रदेश में अब फॉरेस्ट विभाग ( Forest Officers ) के रेंजर, वनपाल और वनरक्षकों के खिलाफ पुलिस तभी केस दर्ज करेगी जब कलेक्टर इस संबंध में आदेश जारी करेगा या कलेक्टर की जांच में यह साबित हो जाएगा कि इनके खिलाफ केस दर्ज किया जाना जरूरी है।
Forest Officers को मिली रियायत
फॉरेस्ट अधिकारियों ( Forest Officers ) और कर्मचारियों को यह रियायत तब दी जाएगी जब वे ड्यूटी के दौरान बल और शस्त्रों का प्रयोग करेंगे। यह निर्देश एडीजी अपराध अनुसंधान विभाग पीएचक्यू द्वारा पुलिस आयुक्त भोपाल, इंदौर और सभी पुलिस अधीक्षकों को दिए हैं। वन बल प्रमुख भोपाल द्वारा वन अपराध संबंधी मामलों में कार्रवाई को लेकर पुलिस महानिदेशक को 29 अक्टूबर को पत्र लिखा था। इसी आधार पर पीएचक्यू ने यह निर्देश सभी जिलों के लिए जारी किए हैं। दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 197 के अंतर्गत वन अधिकारियों और कर्मचारियों को अपनी ड्यूटी के दौरान कई बार आग्नेय शस्त्रों का उपयोग करना पड़ता है। ऐसे मामलों में पुलिस आयुक्त और पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिए गए हैं कि वन रक्षकों, वनपालों, रेंजरों और डिप्टी रेंजरों के विरुद्ध नामजद रिपोर्ट दर्ज कराए जाने पर पुलिस तब तक इनके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं करेगी जब तक जिला दंडाधिकारी आदेश जारी नहीं करता या दंडाधिकारी जांच में उन पर लगे आरोप साबित नहीं हो जाते।
अफसरों को निर्देश फॉलो करने का आदेश
यदि जांच में यह साबित होता है कि आग्नेय शस्त्रों का उपयोग अनावश्यक रूप से, अकारण या आवश्यकता से अधिक बल प्रयोग करने के लिए किया गया है, तब पुलिस आगे की कार्रवाई करेगी। पीएचक्यू द्वारा जारी निर्देश में कहा गया है कि इस संबंध में गृह मंत्रालय द्वारा 11 जून 1996 और वन विभाग द्वारा 28 मई 2004 को अधिसूचना जारी की जा चुकी है। इन्हीं आधारों पर यह निर्देश जारी किए गए हैं, और सभी संबंधित अधिकारियों को इनका पालन करने के निर्देश दिए गए हैं।