69 साल बाद बैठेंगे Gandhiji

विपिन नीमा, इंदौर

शहर के लिए 1956 में एमवाय हास्पिटल का निर्माण, इंदौर नगर पालिका को निगम का दर्जा और रीगल चौराहे पर गांधीजी ( Gandhiji ) की प्रतिमा की स्थापना शामिल है। ये तीनों कार्य ऐसे हुए हैं, जिनकी राष्ट्रीय स्तर पर इनकी पहचान बन गई है। 69 साल के भीतर एमवाय में सभी प्रमुख चिकित्सा विभागों की सुविधाएं मौजूद है। इन सालों में नगर निगम का क्षेत्रफल भी बढ़ गया है। स्वच्छता में इंदौर नगर निगम का नाम पूरी दुनिया में हो गया है, लेकिन रीगल चौराहे पर लगी गांधीजी की प्रतिमा आज भी वैसी ही स्थिति में है जैसे 69 साल पहले स्थापित की गई थी। अब इंदौर नगर निगम रीगल चौराहे की लगी गांधीजी की नई प्रतिमा लगाने की तैयारी कर रही है। अभी यह प्रतिमा खड़ी है अब इसको बदलकर बैठी हुई प्रतिमा लगाई जाएगी। आगामी दिनों में होने वाली एमआईसी (मेयर इन कौंसिल) की बैठक में नई प्रतिमा लगाने की स्वीकृति के लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। महापौर पुष्यमित्र भार्गव के खाते में यह एक बड़ी उपलब्धि दर्ज हो जाएगी।

अब रीगल पर Gandhiji की खड़ी प्रतिमा नहीं दिखेगी

शहर के रीगल तिराहे पर लगी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ( Gandhiji ) की प्रतिमा अब बदली जाएगी। अभी यहां गांधीजी की खड़ी हुई अवस्था वाली प्रतिमा लगी है। इसके स्थान पर अब गांधीजी की बैठी हुई प्रतिमा लगाई जाएगी। पिछले दिनों गांधी पुण्यतिथि के मौके पर जब कांग्रेस के नेता गांधी प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के लिए गए थे तो प्रतिमा की दुर्दशा देखकर वे लोग निराश हो गए थे। उन्होंने नगर निगम को शिकायत की थी कि इस प्रतिमा की हालत बहुत खराब है, इसमें सुधार कार्य किया जाए। निगम के पास कांग्रेस नेताओं की शिकायत के अलावा भी यह फीडबैक आया था कि बहुत ज्यादा पुरानी हो जाने के कारण इस प्रतिमा की स्थिति खराब हो रही है। निगम आयुक्त ने बताया कि इस प्रतिमा को बदलने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इस प्रस्ताव को महापौर परिषद में विचार के लिए भेजा जाएगा। यदि पार्षदों द्वारा सहमति दी जाती है तो इस प्रस्ताव पर अमल किया जाएगा।

एमवाय हास्पिटल – कहां से कहा पहुंच गया


1956 में इंदौर को सबसे बड़ा शासकीय हास्पिटल एमवाय के रुप में मिला था। आज यह हास्पिटल देश के बड़े हास्पिटलों की सूची में शामिल है। जैसे जैसे शहर की जनसंख्या , क्षेत्रफल बढ़ता गया वैसे वैसे हास्पिटल भी नई नई सुविधाओं के साथ विकसित होता गया। 69 सालों में सुविधा के लिहाज से एमवाय हास्पिटल कहां से कहा पहुंच गया। एक जानकारी के मुताबिक एमवाय अस्पताल में सभी प्रमुख चिकित्सा विभागों के साथ 1300 बेड हैं: सर्जरी , चिकित्सा , प्रसूति एवं स्त्री रोग, त्वचाविज्ञान, छाती एवं टीबी, हड्डी रोग, ईएनटी, नेत्र विज्ञान, रेडियोलॉजी, एनेस्थिसियोलॉजी, बाल रोग, फोरेंसिक चिकित्सा और हताहत और सुपरस्पेशलिटी विभाग। अस्पताल में मेडिकल गहन देखभाल इकाई, हेमोडायलिसिस मशीन, एंडोस्कोपी यूनिट, वेंटिलेटर एसआईसीयू, एनआईसीयू, पीआईसीयू, बर्न यूनिट और सर्जिकल सुपरस्पेशलिटी यूनिट हैं। सात मंजिला सरकारी अस्पताल एमवायएच परिसर में 6 अस्पतालों के समूह से घिरा हुआ है।

स्वच्छता का दूसरा नाम है इंदौर नगर निगम


इंदौर नगर निगम 69 सालों में इतनी प्रगति कर ली है कि आज वह भारत के नक्शे पर चमक रहा है। विगत सात सालों से स्वच्छता में नम्बर वन बनने से उसकी पहचान भारत ही नहीं विश्वभर में बन गई है। बाहर के लोग यहीं तर्क देते है स्वच्छता का दूसरा नाम ही इंदौर नगर निगम है। स्वतंत्रता के पश्चात इंदौर शहर को मध्यभारत में शामिल कर लिया गया तथा मध्यभारत के स्थानीय शासन विभाग द्वारा इसे प्रथम श्रेणी की नगर पालिका घोषित कर दिया गया। वर्ष 1956 में राज्यों के पुनर्गठन के दौरान इंदौर को मध्य प्रदेश में शामिल कर लिया गया तथा उसी वर्ष इसे नगर निगम घोषित कर दिया गया। साल 1956 में इंदौर नगर पालिका को नगर निगम का दर्जा मिला था. इंदौर नगर निगम, मध्य प्रदेश के इंदौर शहर का शासी निकाय है. यह शहर के बुनियादी ढांचे और सार्वजनिक सेवाओं का प्रबंधन करता है। निगम में जलापूर्ति, जल निकासी, सफाई, और अपशिष्ट निपटान, दुकानों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों के लिए लाइसेंस और परमिट , सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं दुकानों और बाजारों के खुलने-बंद होने की प्रक्रिया का नियंत्रण तथा निगम से जुड़ी शिकायत के लिए, इंदौर 311 ऐप का इस्तेमाल किया जा सकता है।