Maha Kumbh 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रयागराज में संपन्न महाकुंभ पर एक ब्लॉग लिखा है, जिसमें उन्होंने इसे “एकता का महायज्ञ” करार दिया है। उन्होंने कहा कि 45 दिनों तक चले इस आयोजन में 140 करोड़ देशवासियों की आस्था एक साथ जुड़ी, जो अभिभूत करने वाला है। प्रधानमंत्री ने महाकुंभ की सफलता के लिए उत्तर प्रदेश सरकार, विशेषकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा की है। उन्होंने आयोजन की भव्यता और व्यवस्थाओं की सराहना करते हुए कहा कि इतने बड़े आयोजन को सफल बनाना आसान नहीं था।
महाकुंभ के दौरान सफाई कर्मियों के प्रयासों की भी प्रधानमंत्री ने सराहना की, जिससे वे गदगद हुए। प्रधानमंत्री ने महाकुंभ को भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक बताया, जहां समाज के सभी वर्गों के लोग आस्था और भक्ति में एकजुट हुए। इस आयोजन के दौरान, प्रधानमंत्री ने महाकुंभ के आलोचकों की भी आलोचना की, जिन्होंने इसे “गुलामी की मानसिकता” से प्रेरित बताया। महाकुंभ के समापन के बाद, प्रधानमंत्री मोदी ने सोमनाथ मंदिर के दर्शन करने की योजना बनाई है, जहां वे हर भारतीय के लिए प्रार्थना करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ब्लॉग में लिखा, “महाकुंभ संपन्न हुआ। एकता का महायज्ञ संपन्न हुआ।” उन्होंने कहा कि जब कोई राष्ट्र अपनी चेतना को जागृत करता है और सदियों की गुलामी की मानसिकता से मुक्त होकर नए जोश के साथ आगे बढ़ता है, तो प्रयागराज में संपन्न “एकता के महाकुंभ” जैसा दृश्य उभरता है। उन्होंने 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में कही गई “देवभक्ति से देशभक्ति” की बात को याद करते हुए कहा कि महाकुंभ में संत-महात्मा, बाल-वृद्ध, महिलाएं और युवा—सभी ने देश की जागृत चेतना का साक्षात्कार किया। यह महाकुंभ 140 करोड़ भारतीयों की आस्था का संगम बना। उन्होंने तीर्थराज प्रयाग के समीप श्रृंगवेरपुर का भी उल्लेख किया, जहां प्रभु श्रीराम और निषादराज का ऐतिहासिक मिलन हुआ था। उन्होंने इसे भक्ति और सद्भाव के संगम का प्रतीक बताते हुए कहा कि प्रयागराज का यह तीर्थ आज भी एकता और समरसता की प्रेरणा देता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ब्लॉग में लिखा कि बीते 45 दिनों में उन्होंने देखा कि देशभर से लाखों लोग संगम तट की ओर बढ़ते गए। संगम में स्नान की भावना का ज्वार लगातार बढ़ता रहा, और हर श्रद्धालु बस एक ही धुन में मग्न था—संगम में स्नान। गंगा, यमुना और सरस्वती की त्रिवेणी ने हर श्रद्धालु को उमंग, ऊर्जा और विश्वास से भर दिया। उन्होंने कहा कि प्रयागराज में हुआ महाकुंभ का आयोजन आधुनिक युग के मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स, प्लानिंग और पॉलिसी एक्सपर्ट्स के लिए अध्ययन का विषय बन गया है। उन्होंने इस आयोजन की भव्यता पर जोर देते हुए कहा कि पूरी दुनिया में इस तरह के विराट आयोजन की कोई दूसरी तुलना नहीं है। आश्चर्य की बात यह है कि करोड़ों श्रद्धालु बिना किसी औपचारिक निमंत्रण या पूर्व सूचना के महाकुंभ में पहुंचे और संगम में डुबकी लगाकर धन्य हो गए।
उन्होंने लिखा कि वे स्नान के बाद श्रद्धालुओं के चेहरों पर छाई असीम आनंद और संतोष की भावनाएं कभी नहीं भूल सकते। महिलाएं, बुजुर्ग, दिव्यांगजन—जिससे जो बन पड़ा, वह अपने साधनों से संगम तक पहुंचा। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता जताई कि भारत की युवा पीढ़ी भी बड़ी संख्या में महाकुंभ में पहुंची। इससे यह विश्वास और दृढ़ होता है कि युवा पीढ़ी भारतीय संस्कृति और संस्कारों की वाहक है और इसे आगे बढ़ाने के लिए समर्पित और संकल्पित है। उन्होंने इस महाकुंभ को ऐतिहासिक और रिकॉर्ड तोड़ आयोजन बताते हुए कहा कि जो लोग प्रयागराज नहीं पहुंच पाए, वे भी इस आयोजन से भावनात्मक रूप से जुड़े रहे। कुंभ से लौटने वाले श्रद्धालु जब त्रिवेणी तीर्थ का जल अपने गांव-घर लेकर गए, तो उन जल की कुछ बूंदों ने भी करोड़ों भक्तों को कुंभ स्नान जैसा पुण्य दिया। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि कुंभ से लौटे श्रद्धालुओं का गांव-गांव में जिस तरह सत्कार हुआ और समाज ने उनके प्रति श्रद्धा प्रकट की, वह अविस्मरणीय है।