350 करोड़ के BRTS पर चलेगा हथौड़ा

विपिन नीमा, इंदौर

इंदौर में BRTS टूटना तय हो गया है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के सपनों का शहर और वर्तमान मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के प्रभार वाले जिले इंदौर में जवाहर लाल शहरी नवीनीकरण मिशन के तहत 300 करोड़ रु की लागत से 11.54 किलोमीटर राजीव गांधी चौराहे से निरंजनपुर चौराहे तक का बना बीआरटीएस कॉरिडोर की इंदौर से विदाई तय हो गई है।

नगर निगम BRTS पर बरसा सकता है हथोड़े

बीआरटीएस ( BRTS ) को तोड़ने पर कोर्ट में लगाई गई याचिका पर हाईकोर्ट ने इंदौर बीआरटीएस को तोड़ने का फैसला सुनाया है। इसी फैसले के साथ नगर निगम अब किसी भी समय बीआरटीएस पर हथोड़े बरसा सकता है। तात्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के कार्यकाल में बीआरटीएस बनाया गया था, 10 साल बाद यहीं बीआरटीएस वर्तमान मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के कार्यकाल में टूटेगा। बीआरटीएस पर जनता की सुविधा के लिए दो बड़े प्रोजेक्ट फूट ओव्हर ब्रिज और एलिवेटेड कॉरिडोर आने वाले थे , लेकिन दोनों ही प्रोजेक्ट कागजों पर ही सिमट गए।

रोज लगभग 60 से 70 हजार यात्री आई बसों में सफर करते हैं

साल 2013 में इंदौर में बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम की शुरूआत हुई। इंदौर में 11.54 किलोमीटर का बीआरटीएस कॉरिडोर बनाया गया है, जो निरंजनपुर से लेकर राजीव गांधी चौराहा तक है। पूरे कॉरिडोर में 14 बस स्टाप आते हैं। इस बीआरटीएस पर वर्तमान में प्रतिदिन सुबह सात बजे से रात 10 बजे तक लगभग 59 आई बसें (29 सीएनजी बस और 30 इलेक्ट्रिक बस) दौड़ती है ओर इसमें हर रोज लगभग 60 से 70 हजार यात्री इसमें सफर करते है। बताया गया है की बीआरटीएस कॉरिडोर लगभग 300 करोड़ रु की लागत से तैयार किया गया था।

सबसे ज्यादा बसों का उपयोग नौकरीपेशा और स्टूडेंट्स करते हैं

शहर के बीचों बीच स्थित बीआरटीएस कॉरिडोर को सफल इसलिए माना जा रहा है कि बड़ी संख्या में नौकरीपेशा और स्टूडेंट्स इस व्यवस्था को काफी पसंद कर रहे हैं और उनके लिए सबसे सस्ती परिवहन सेवा है। कॉरिडोर पर दौडऩे वाली आई बेसन का सबसे ज्यादा उपयोग भी यही लोग करते हैं। इस रूट पर कई शैक्षणिक संस्थाएं, अस्पताल और कॉपोर्रेट ऑफिस हैं। यही वजह है कि बीआरटीएस में चलने वाली बसों में बड़ी संख्या में रोजाना यात्री सफर करते हैं। नौकरीपेशा वर्ग बसों का उपयोग करता है। सुबह से लेकर रात तक जोडऩे वाली है लगभग 50 से 60 आई बसों मे औसतन 60 से 70 हजार यात्री इसमें रोजाना सफर करते हैं। बता दें, इन बसों में सफर करने वाले यात्रियों में बड़ा वर्ग स्टूडेंट्स का है। बस का टिकट भी 5 रु, 10 रु, 15 रु से ज्यादा नहीं है। इसलिए यह बस सेवा सफल है और लोगों के लिए उपयोगी है।

भोपाल के बाद से ही इंदौर बीआरटीएस पर सभी की नजर थी

राजधानी भोपाल का बीआरटीएस तोडऩे के बाद सही है चर्चा शुरू होने लगे थे कि इंदौर के बीआरटीएस को भी तोड़ देना चाहिए। इसको लेकर आवाज भी उठने लगी थी। हालांकि इंदौर का बीआरटीएस सफलता के साथ संचालित हो रहा है। सबसे बड़ी प्रॉब्लम कॉरिडोर के दोनों तरफ के सर्विस रोड पर ट्रैफिक का लोड बढ़ता ही जा रहा है। शाम को 4:00 बजे से लेकर 7:00 तक दोनों तरफ की सर्विस रोड वाहनों पटी रहती है। इसी से लोग परेशान है। इंदौर बीआरटीएस पर ट्रैफिक सुधार के लिए कई प्रयोग भी किए गए, लेकिन व्यवस्था में कोई परिवर्तन नहीं आया। भोपाल की ट्रेफिक व्यवस्था और लोगों की परेशानी काफी बढ़ चुकी थी। आए दिन टैफिक जाम होता था। जनप्रतिनिधियों तथा आम जनता की लगातार शिकायतों को लेकर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने सभी की सहमति से बीआरटीएस तोडऩे का फैसला लिया। आखिरकार सरकार ने इंदौर के बीआरटीएस को तोडऩे का ऐलान कर ही दिया।

बीआरटीएस के पांच प्रमुख बिंदुओं पर महापौर बोले-

  • बीआरटीएस का हटना – बीआरटीएस को हटाने का फैसला शहर के ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार के लिए लिया गया है। यह कदम शहरवासियों के लिए बेहतर यातायात प्रबंधन सुनिश्चित करेगा।
  • ट्रैफिक में सुगमता आएगी – बीआरटीएस के हटने से शहर के ट्रैफिक में सुगमता आएगी और यातायात की समस्या को कम किया जाएगा।
  • नए ब्रिज का निमार्ण – बीआरटीएस के हटने से भविष्य में नए ब्रिज बनाने की प्रक्रिया में भी सुगमता आएगी, जिससे शहर के यातायात को और बेहतर बनाया जा सकेगा।
  • शहर की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए – बीआरटीएस को हटाने का यह निर्णय शहर को जिस बदलाव की लंबे समय से आवश्यकता थी, उस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। यह निर्णय शहरवासियों की समस्याओं को प्राथमिकता देते हुए लिया गया है, और इसकी त्वरित प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
  • इसलिए नहीं आई कानूनी अड़चनें – याचिका में दोनों ही पक्ष बीआरटीएस हटाने पर सहमत थे, इसलिए कानूनी अड़चन नहीं आई। बीआरटीएस के हटने से शहर के ट्रैफिक में अलग सुगमता आएगी और ब्रिज भी बन सकेंगे। बीआरटीएस के हटने से सडक़ की चौड़ी हो जाएगी। शुक्रवार से बस लेन हटाने का काम शुरू हो जाएगा।
    तीसरा बीआरटीएस तोडऩे की तैयारी
  • दिल्ली और भोपाल के बाद अब इंदौर के बीआरटीएस को तोडऩे का फैसला कोर्ट ने सुना दिया है।
  • केंद्र सरकार ने ट्रेफिक सुधार के लिहाज से देश के 9 शहरों में बीआरटीएस परियोजना लागू की थी, इसमें से दिल्ली और भोपाल को छोडक़र शेष शहरों में बीआरटीएस संचालित हो रहा है। कोर्ट से फैसला होने के बाद अब इंदौर के बीआरटीएस कॉरिडोर पर हथोड़े जल्द ही चलने वाले है।

अब 6 शहरों में बीआरटीएस कॉरिडोर

बीआरटीस कॉरिडोर के कारण ट्रैफिक व्यवस्था बिगड़ने से पहले दिल्ली का बीआरटीएस तोड़ा गया। इसके बाद लोगों इसी तरह की परेशानी के चलते गत वर्ष अप्रैल माह भोपाल का बीआरटीएस तोड़ा गया। वर्तमान में देश के जिन 6 शहरों में बीआरटीएस कारिडोर परियोजना चल रही है। उन शहरों के नाम है-

  • अहमदाबाद
  • पुणे
  • सूरत
  • जयपुर
  • विशाखापट्टनम
  • विजयवाड़ा।