Holika Dahan Bhadra Timing: इस वर्ष होलिका दहन पर सुबह से लेकर रात तक भद्रा का प्रभाव रहेगा, जिससे शुभ मुहूर्त प्रभावित होगा। ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार, भद्रा काल में होलिका दहन करना अशुभ माना जाता है, क्योंकि इससे अनिष्टकारी फल मिलने की संभावना होती है। इसलिए, भद्रा समाप्त होने के बाद ही होलिका दहन करना उचित होगा।
इस वर्ष भद्रा रात 11:28 बजे समाप्त होगी, जिसके बाद ही होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रहेगा। अतः भक्तजन रात्रि 11:28 बजे के बाद होलिका दहन कर सकते हैं। इससे शुभ फल की प्राप्ति होगी और बुरी शक्तियों का नाश माना जाएगा।
इस वर्ष होलिका दहन के अगले दिन धुलेंडी (रंगों का पर्व) पर चंद्रग्रहण पड़ रहा है, लेकिन यह चंद्रग्रहण विदेश में दिखाई देगा और भारत में दृश्य नहीं होगा। ज्योतिषीय नियमों के अनुसार, जब कोई ग्रहण किसी स्थान पर दिखाई नहीं देता, तो उसका धार्मिक और शुभ कार्यों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। इसलिए, भारत में इस चंद्रग्रहण का कोई असर नहीं होगा और सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। इसका अर्थ है कि रंगों के पर्व होली को पूरी तरह शुभ मुहूर्त में और बिना किसी ग्रहण दोष के मनाया जा सकता है।
हाँ, 2025 का पहला चंद्रग्रहण 13 मार्च की देर रात से 14 मार्च की सुबह तक रहेगा, जो अमेरिका सहित अन्य देशों में दिखाई देगा, लेकिन भारत में नहीं।
इसका प्रभाव भारत में नहीं होगा
• भारत में यह दृश्य नहीं होने के कारण सूतक काल मान्य नहीं होगा, और मंदिरों में कोई विशेष नियम लागू नहीं होंगे।
• धार्मिक कार्य और शुभ कार्य पूर्ववत किए जा सकते हैं।
ग्रहण का राशियों पर प्रभाव
हालाँकि भारत में ग्रहण नहीं दिखेगा, लेकिन ग्रह-नक्षत्रों के प्रभाव से कुछ राशियों को सावधानी रखनी होगी:
• मिथुन (Gemini): मानसिक तनाव और भ्रम की स्थिति हो सकती है।
• वृश्चिक (Scorpio): स्वास्थ्य का ध्यान रखें, खर्चे बढ़ सकते हैं।
• मकर (Capricorn): करियर और धन संबंधित फैसलों में सतर्क रहें।
• मीन (Pisces): भावनात्मक अस्थिरता और रिश्तों में सावधानी बरतें।
ग्रहण और भद्रा के दुष्प्रभाव कम करने के ज्योतिषीय उपाय
1. भगवान शिव या भगवान विष्णु की उपासना करें।
2. गाय को हरा चारा और जरूरतमंदों को भोजन का दान करें।
3. ओम नमः शिवाय या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
4. ग्रहण के समय सत्संग, ध्यान, और जप करने से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
हालाँकि भारत में यह ग्रहण प्रभावी नहीं होगा, फिर भी जो लोग ज्योतिष पर विश्वास रखते हैं, वे उपाय अपनाकर शुभ फल प्राप्त कर सकते हैं।
होलाष्टक इस वर्ष 7 मार्च 2025 से शुरू होकर 13 मार्च 2025 तक रहेगा।
होलाष्टक का महत्व
• होलाष्टक में शुभ कार्य (विवाह, गृह प्रवेश, नए व्यवसाय की शुरुआत आदि) नहीं किए जाते, क्योंकि इस दौरान ग्रह उग्र स्थिति में रहते हैं।
• यह समय तप, दान-पुण्य और आध्यात्मिक साधना के लिए उत्तम माना जाता है।
होलिका दहन तिथि और पूर्णिमा विवरण
• पूर्णिमा तिथि: 13 मार्च सुबह 10:36 से 14 मार्च दोपहर 12:15 तक रहेगी।
• चूँकि पूर्णिमा तिथि उदया तिथि (सूर्योदय के समय मौजूद तिथि) में 14 मार्च को है, लेकिन यह दोपहर तक तीन प्रहर से कम रहेगी, इसलिए होलिका दहन 13 मार्च की रात में ही किया जाएगा।
• होलिका दहन का सही मुहूर्त रात्रि में भद्रा समाप्त होने के बाद होगा।
होलिका दहन 13 मार्च 2025 की रात्रि में किया जाएगा, क्योंकि इसे भद्रा रहित काल में करने की परंपरा है। इस दिन भद्राकाल सुबह 10:36 बजे से रात्रि 11:27 बजे तक रहेगा। भद्राकाल समाप्त होने के बाद रात्रि 11:28 बजे से देर रात्रि 12:15 बजे तक होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त रहेगा। अगले दिन, 14 मार्च 2025 को रंगों का पर्व होली हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा।
पूर्णिमा तिथि आरंभ : 13 मार्च प्रातः 10:36 से
पूर्णिमा तिथि समाप्त : 14 मार्च, दोपहर 12:15 तक
इस वर्ष होलिका दहन के लिए मात्र 47 मिनट का ही शुभ मुहूर्त उपलब्ध रहेगा। 13 मार्च 2025 को भद्रा प्रातः 10:36 बजे से मध्य रात्रि 11:27 बजे तक पृथ्वी लोक पर रहेगी, जिसके कारण इस अवधि में होलिका दहन करना अशुभ माना जाएगा। भद्रा समाप्त होने के बाद रात्रि 11:28 बजे से 12:15 बजे तक होलिका दहन के लिए शुभ समय रहेगा।