सहकारिता के ज़रिए समृद्धि की ओर, अमित शाह का डेयरी सेक्टर को बढ़ावा देने का संकल्प

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने ‘डेयरी क्षेत्र में सस्टेनेबिलिटी और सर्कुलरिटी पर कार्यशाला’ का उद्घाटन करते हुए कहा कि डेयरी उद्योग न केवल छोटे किसानों की आर्थिक मजबूती के लिए अहम है, बल्कि ग्रामीण पलायन की समस्या को हल करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इस कार्यशाला के दौरान डेयरी सेक्टर में सर्कुलरिटी की श्रेष्ठ प्रक्रियाओं को 250 से अधिक दूध उत्पादक संघों तक पहुँचाने की पहल की गई।

डेयरी क्षेत्र: ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़

भारत का डेयरी उद्योग न केवल देश की पोषण आवश्यकताओं को पूरा करता है, बल्कि यह दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बनने में भी सहायक रहा है। इस क्षेत्र ने किसानों को अतिरिक्त आय के अवसर प्रदान किए हैं और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती दी है। हालाँकि, आज़ादी के बाद लंबे समय तक सहकारिता क्षेत्र को वह महत्व नहीं दिया गया, जो उसे मिलना चाहिए था।

मोदी सरकार का सहकारिता क्षेत्र को सशक्त बनाने का संकल्प

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जुलाई 2021 में सहकारिता मंत्रालय की स्थापना का ऐतिहासिक निर्णय लेकर ‘सहकार से समृद्धि’ के विचार को साकार किया। इसके तहत अमित शाह के नेतृत्व में सहकारी समितियों के विस्तार और मजबूती पर व्यापक कार्य किया गया है। अमृतकाल के पहले केंद्रीय बजट 2023-24 में सहकारिता क्षेत्र के लिए कई बड़े कदम उठाए गए, जिनमें अगले पाँच वर्षों में 2 लाख पैक्स, डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना शामिल है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे और सहकारिता आंदोलन को और अधिक गति मिलेगी।

‘सहकार से शक्ति’ का विजन

मोदी सरकार सहकारिता को सिर्फ एक संगठनात्मक ढाँचा नहीं, बल्कि ग्रामीण विकास का प्रभावी साधन मानती है। अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा कि सहकारिता मंत्रालय ‘सहकार से शक्ति’, ‘सहकार से सहयोग’ और ‘सहकार से समृद्धि’ के तीन सूत्रों के साथ कार्य कर रहा है। साथ ही, यह ‘प्रॉफिट फॉर पीपल’ के मंत्र को भी साकार कर रहा है, ताकि सहकारी समितियों को सशक्त बनाकर आम जनता को आर्थिक लाभ पहुँचाया जा सके।

सहकारी समितियों के पुनरुद्धार की दिशा में ऐतिहासिक पहल

मोदी और अमित शाह की जोड़ी ‘गाँव से ग्लोबल’ तक सहकारी समितियों को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने में प्रयासरत है। सहकारी समितियों को सुदृढ़ करने की दिशा में किए गए इन ठोस प्रयासों से यह स्पष्ट है कि सहकारिता आंदोलन निकट भविष्य में देश की आर्थिक और सामाजिक संरचना को नई दिशा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।