लेखक
चैतन्य भट्ट
यकीनन आपके साथ भी हुआ होगा। एटीएम ( ATM ) से पैसे निकालते हैं। पैसे निकलते नहीं और आपके बैंक खाते से से कट जाते हैं। बैंक जाएं तो जवाब मिलता है। फि़क्र मत कीजिए, दो चार दिन में खाते में वापस आ जाएंगे। ऐसा होता भी है मगर ये दो चार दिन कई बार हफ्ते में तब्दील हो जाते हैं। आनलाइन टिकट बुक करते हैं और यात्रा कैंसिल हो जाती है। पैसे अकाउंट में वापस आने में फिर दो तीन दिन या फिर हफ्ता भी लग जाता है। आनलाइन खरीदारी का आर्डर कैंसिल करते हैं या किसी किसी मामले में कंपनी खुद भी आर्डर कैंसिल कर देती है। अकाउंट में पैसा वापस आने में फिर वही हफ्ते दस दिन से ज्यादा समय लगता है। कई बार तो कंपनियां ग्राहकों से बैंक स्टेटमेंट मांगने से भी नहीं चूकतीं।
ATM में ट्रांजेक्शन फेल होने की समस्या
जिनके अकाउंट में तगड़ा बैलेंस होता है उन्हें इस दो चार दिन या हफ्ते भर की देरी से कोई फर्क नहीं पड़ता। मगर देश में सारे लोग इस श्रेणी में नहीं आते। बहुतेरे ऐसे होते हैं जिन्हें पैसे निकालने के पहले अकाउंट का बैलेंस चेक करना पड़ता है कि जितने पैसे निकालने की जरूरत है उतने अकाउंट में हैं भी या नहीं ? जरा सोचिए, उनके लिए एटीएम ( ATM ) में पैसा फंसने की यह दो चार दिन या हफ्ते भर की देरी कितनी त्रासद हो जाती होगी ? जरा उस आदमी के बारे में सोचिए जिसे मरीज़ के लिए दवा खरीदनी है, उतने की ही जितने पैसे उसके बैंक खाते में हैं। या फिर किसी शिक्षार्थी के अभिभावकों ने उसके खाते में जितनी फीस जमा करनी है, उतनी ही या थोड़ी बहुत ज्यादा रकम डाली है। दो चार दिन या हफ्ते भर का इंतजार संभव नहीं है। अब ऐसे में आदमी क्या करे ? खुद के पास रकम होते हुए भी दूसरे के सामने हाथ फैलाए ?
एटीएम ट्रांजेक्शन फेल होने की ऐसी घटनाओं के वास्तविक आंकड़े उपलब्ध नहीं है मगर लगता है कि इनकी संख्या कम होगी। मगर इनमें भी सीमित बैंक बैलेंस वालों की परेशानी असीमित हो जाती है। यूपीआई समेत आनलाइन भुगतान की तमाम सुविधाएं आने के बावजूद देश में और खासकर देहाती और अर्द्धशहरी इलाकों मे अभी भी ज्यादातर नगदी का उपयोग होता है।? एटीएम से नगदी आहरण में लगातार वृद्धि हो रही है। वर्ष 2024 में ही एटीएम से नगदी आहरण पिछले वर्ष की तुलना में लगभग साढ़े पांच फीसदी बढ़ा है। नोट बंदी और दो हजार जैसे बड़े नोट वापस लिए जाने जैसे प्रयासों के बावजूद देश में कैश का स्तर रिकार्ड ऊंचाई पर है। डिजिटल साक्षरता की कमी है और आम आदमी साइबर फ्राड की घटनाओं से डरता है। ऐसे में एटीएम से पैसे निकालना आदमी के लिए मजबूरी बन जाता है।
सवाल स्वाभाविक है ? क्या एटीएम ट्रांजेक्शन में पैसा फंसने पर वापस बैंक अकाउंट में आने में लगने वाला दो तीन दिन से लेकर हफ्ते भर का समय खत्म नहीं किया जा सकता ? अगर पलक झपकते पैसा एक खाते से दूसरे में ट्रांसफर हो सकता है तो वैसे ही दूसरे से वापस पहले खाते में क्यों नहीं हो सकता ? हम क्रांतिकारी तकनीकी युग में जी रहे हैं। जो पचास साठ पार कर गए हैं उन्होंने जवानी के दिनों में कल्पना भी नहीं की होगी कि समय ऐसा और इतना भी बदल जाएगा। तकनीक के दम पर सरकार एक क्लिक पर लाड़ली बहना, किसान सम्मान निधि जैसी योजनाओं में करोड़ों बैंक खातों में पैसा ट्रांसफर कर देती है। फिर तकनीकी सामंजस्य से ऐसी कोई व्यवस्था बनाने में क्या समस्या है ? जो बैंक उद्योगपतियों को पलक झपकते करोड़ों के ओवरड्राफ्ट स्वीकृत कर देते हैं, करोड़ों का लोन बट्टे खाते में डाल देते हैं वे वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में एटीएम ट्रांजेक्शन फेल होने की स्थिति में क्या दो पांच हजार की छोटी सी रकम का ओवर ड्राफ्ट नहीं दे सकते ? मिनिमम बैलेंस जरा सा कम होने और दूसरे तमाम कारणों से अकाउंट से निर्ममता से पैनाल्टी काटने वाले बैंक अपनी ख़ुद की तकनीकी समस्या के कारण सीमित बैंक बैलेंस वाले उपभोक्ताओं को होने वाली इस असुविधा पर ध्यान देने तैयार क्यों नहीं है ?
एटीएम आहरण पर अकाउंट से पैसा निकलने और वापस अकाउंट में आने के दो चार दिनों से हफ्ते भर का लगने वाले समय में ब्याज का पैसा मिलता है या नहीं , यह एक अलग विषय है। यह पैसा कितना भी कम हो, अगर बैंक इससे आय अर्जित करने में शामिल हैं तो यह ऐसी घटना का शिकार होने वालों के साथ और भी त्रासद मजाक है।
सरकार और रिजर्व बैंक को इसके समाधान की दिशा में कुछ करना चाहिए। तकनीकी आधार पर निकासी फेल होने से फंसा पैसा तत्काल अकाउंट में वापस आने के लिए ज़रूरी उपाय किए जाने चाहिए। क्रांतिकारी तकनीक के इस युग में यह काम इतना भी मुश्किल नहीं होगा। सवाल सिर्फ इच्छा शक्ति का है। वैकल्पिक रूप से ऐसे प्रकरणों में बैंकों द्वारा फंसी हुई रकम के विरुद्ध समान राशि का ओवरड्राफ्ट सुविधा दिए जाने जैसा विकल्प भी आजमाया जा सकता है। रहा सवाल आनलाइन खरीदारी के रिफंड में होने वाले विलंब का सो उसके त्वरित निराकरण के दिशानिर्देश भी जल्द से जल्द जारी किये जाने चाहिए।