मध्यप्रदेश सरकार पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। 5 मार्च को रिजर्व बैंक के मुंबई कार्यालय के माध्यम से 6 हजार करोड़ रुपये का कर्ज लेने के बाद अब सरकार 19 मार्च को फिर उतनी ही राशि का ऋण बाजार से उठाने जा रही है। खास बात यह है कि यह कर्ज रंग पंचमी के दिन लिया जाएगा, जो मार्च में तीसरी बार होगा। मोहन सरकार 7, 21 और 25 साल की अवधि के लिए यह लोन ले रही है। जनवरी से मार्च की अवधि में अब तक कुल 16 हजार करोड़ रुपये का कर्ज लिया जा चुका है। वहीं, 31 मार्च 2024 तक राज्य सरकार का कुल कर्ज 3 लाख 75 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जो आर्थिक प्रबंधन को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।
वित्तीय वर्ष के अंत तक मध्यप्रदेश सरकार पर कर्ज का बोझ तेजी से बढ़ता जा रहा है। अब तक मोहन सरकार इस वित्तीय वर्ष में करीब 53 हजार करोड़ रुपये का कर्ज ले चुकी थी, और यदि रंगपंचमी पर प्रस्तावित 6 हजार करोड़ रुपये के नए ऋण को भी जोड़ लिया जाए, तो यह आंकड़ा बढ़कर 59 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। यह पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 के मुकाबले 15 हजार करोड़ रुपये अधिक है, जब सरकार ने कुल 44 हजार करोड़ रुपये का ऋण लिया था। चिंताजनक बात यह है कि बीते केवल 15 दिनों में ही सरकार 18 हजार करोड़ रुपये का कर्ज ले चुकी है, जो राज्य की वित्तीय स्थिति और भविष्य की ऋण निर्भरता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
मध्यप्रदेश सरकार की वित्तीय स्थिति पर बढ़ते कर्ज का बोझ अब गंभीर चिंता का विषय बन गया है। 31 मार्च 2024 तक राज्य पर कुल कर्ज़ 3,75,578 करोड़ रुपये था, लेकिन वर्तमान वित्तीय वर्ष में लिए गए 59 हजार करोड़ रुपये के कर्ज को जोड़ने पर यह आंकड़ा बढ़कर 4,34,578 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। यानी, कुल कर्ज़ का लगभग 13 प्रतिशत सिर्फ इसी वित्तीय वर्ष में मोहन सरकार द्वारा उठाया गया है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह कर्ज़ हाल ही में घोषित 4.31 लाख करोड़ रुपये के बजट से भी 3 हजार करोड़ रुपये अधिक है। मार्च महीने में सरकार दो बार पहले ही कर्ज ले चुकी है और अब रंगपंचमी के दिन तीसरी बार 6 हजार करोड़ रुपये का नया कर्ज लेने की तैयारी में है। इससे राज्य की अर्थव्यवस्था और भविष्य की वित्तीय स्थिरता पर गहरे सवाल खड़े हो रहे हैं।