गुरु ग्रह (बृहस्पति) का राशि परिवर्तन ज्योतिष में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह ग्रह ज्ञान, धर्म, धन, और सामाजिक प्रतिष्ठा का प्रतिनिधित्व करता है। लगभग 13 महीने तक एक राशि में रहने वाला गुरु जब राशि बदलता है, तो इसका प्रभाव सभी 12 राशियों पर पड़ता है—किसी के लिए शुभ होता है तो किसी के लिए थोड़ा संयम बरतने का समय। इस बार चैत्र नवरात्रि के बाद गुरु वृष से मिथुन राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं, और इसका असर विशेष रूप से कुछ राशियों के लिए काफी सकारात्मक रहेगा।
जब गुरु लग्न भाव में हों तो क्या-क्या होता है?
1. आत्मविश्वास और व्यक्तित्व निखरता है
गुरु का प्रथम भाव में गोचर व्यक्ति के स्वभाव, व्यवहार और सोच में गंभीरता, धैर्य और समझदारी लाता है। व्यक्ति अधिक सकारात्मक और प्रेरणादायक बनता है।
2. रुके कार्य पूरे होते हैं
गुरु की दृष्टि पंचम, सप्तम और नवम भाव पर पड़ती है, जिससे शिक्षा, विवाह, और भाग्य क्षेत्र में प्रगति होती है।
3. करियर और आर्थिक स्थिति में सुधार
नौकरीपेशा लोगों को प्रमोशन या नई नौकरी का अवसर मिल सकता है। व्यवसायियों के लिए ये समय लाभदायक और विस्तार वाला होता है।
4. वैवाहिक जीवन में मिठास
गुरु सप्तम भाव पर दृष्टि डालते हैं, जिससे वैवाहिक जीवन में तालमेल और सामंजस्य बढ़ता है। जीवनसाथी को भी उन्नति के अवसर मिलते हैं।
5. पारिवारिक सुख और सामाजिक प्रतिष्ठा
गुरु की दृष्टि नवम भाव पर भी पड़ती है, जिससे परिवार में शांति, धार्मिक कार्यों में रुचि और समाज में मान-सम्मान मिलता है।
जिन राशियों पर पड़ेगा शुभ प्रभाव:
1. सिंह राशि:
गुरु पंचम भाव में रहेगा जो शिक्षा, संतान और प्रेम संबंधों के लिए उत्तम है। कार्यक्षेत्र में मान-सम्मान बढ़ेगा और पदोन्नति के योग बन सकते हैं।
2. तुला राशि:
भाग्य भाव में गुरु का गोचर जीवन में नई संभावनाएं खोलेगा। यात्रा, विदेश से लाभ और आध्यात्मिक उन्नति के संकेत हैं।
3. कुंभ राशि:
गुरु लाभ भाव में आएगा, जिससे आय के स्रोत बढ़ेंगे, नई मित्रता और सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।
4. मेष राशि:
गुरु तीसरे भाव में होंगे, जिससे साहस, निर्णय क्षमता और भाग्य का बल मिलेगा। नए कार्यों में सफलता के योग बनेंगे।