Cheetah in Kuno National Park: कूनो राष्ट्रीय उद्यान में आज छोड़े जाएंगे 5 और चीते, सीएम ने ‘एक्स’ पर किया पोस्ट

Cheetah in Kuno National Park: देश की बहुप्रतीक्षित चीता संरक्षण परियोजना को एक नई दिशा देते हुए सोमवार को एक मादा चीता और उसके चार शावकों को मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान के जंगल में छोड़ने की तैयारी पूरी हो चुकी है। यह कदम न केवल वन्यजीव संरक्षण की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे पर्यटन को भी बड़ा बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने रविवार रात सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर इस खबर को साझा करते हुए बताया कि चीतों की बढ़ती संख्या अब पर्यटकों को उन्हें उनके प्राकृतिक आवास में देखने का अनोखा अवसर देगी। इससे श्योपुर जिले में स्थित कूनो राष्ट्रीय उद्यान में आने वाले आगंतुकों की संख्या में भी वृद्धि होगी। यह पहल न सिर्फ पर्यावरणीय संतुलन को सशक्त करेगी, बल्कि क्षेत्रीय विकास और रोजगार के नए रास्ते भी खोलेगी।

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए जानकारी दी कि कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों का कुनबा अब और बढ़ने जा रहा है। दक्षिण अफ्रीका से लाई गई मादा चीता ‘गामिनी’ को उसके चार शावकों—दो नर और दो मादा के साथ—सोमवार को कूनो के खजूरी पर्यटन जोन में खुले जंगल में छोड़ा जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कदम पर्यटकों के लिए एक अनूठा अनुभव होगा, क्योंकि सफारी के दौरान वे अब चीतों को उनके प्राकृतिक आवास में घूमते हुए देख सकेंगे। इससे न केवल वन्यजीव संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि पर्यटकों की संख्या में भी निश्चित रूप से वृद्धि होगी। सरकार की योजना है कि वन्यजीव संरक्षण और पर्यटन को नई ऊंचाइयों तक ले जाया जाए। गामिनी और उसके शावकों को जंगल में छोड़ने के बाद कूनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में खुले में विचरण करने वाले चीतों की संख्या 17 हो जाएगी, जबकि 9 चीते अभी भी बाड़ों में रहेंगे।

अधिकारियों के अनुसार, मादा चीता गामिनी ने 10 मार्च 2024 को छह शावकों को जन्म दिया था, लेकिन दुर्भाग्यवश उनमें से दो शावकों की मौत हो गई। अब बचे हुए चार शावकों को गामिनी के साथ सोमवार को कूनो राष्ट्रीय उद्यान के जंगल में छोड़ा जाएगा। इससे पहले भी, 21 फरवरी को चीता ज्वाला और उसके चार शावकों को जंगल में छोड़ा गया था।

चीता पुनर्वास परियोजना की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 17 सितंबर 2022 को की थी, जब उन्होंने नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को कूनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़कर इस ऐतिहासिक पहल का शुभारंभ किया। यह परियोजना भारत में चीतों की विलुप्त हो चुकी प्रजाति को फिर से बसाने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।