एमपी में नर्सिंग के लाखों छात्रों के लिए बेड न्यूज़, बीएससी, एमएससी और पीबीबीएससी परीक्षा टली, अब इस महीने होगा एग्जाम

मध्य प्रदेश में नर्सिंग छात्रों का भविष्य एक बार फिर अनिश्चितता के दौर से गुजर रहा है। मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (एमपीएमएसयू) ने बीएससी, एमएससी और पीबीबीएससी नर्सिंग परीक्षाओं की तारीखों को एक बार फिर से बढ़ा दिया है। पहले मार्च 2025 में प्रस्तावित इन परीक्षाओं को अब अप्रैल-मई 2025 में आयोजित किया जाएगा। विश्वविद्यालय के इस निर्णय से नर्सिंग छात्रों की परेशानियां और बढ़ गई हैं, क्योंकि लगातार परीक्षा टलने से उनका शैक्षणिक और पेशेवर भविष्य अधर में लटका हुआ नजर आ रहा है।

पुराने बैचों की परीक्षाएं भी अब तक लंबित हैं। 2019-20 बैच के बीएससी नर्सिंग चौथे वर्ष की परीक्षाएं अभी तक आयोजित नहीं की गई हैं, जबकि 2020-21 और 2021-22 बैच की परीक्षाएं भी चार साल की देरी से चल रही हैं। छात्रों का कहना है कि समय पर परीक्षाएं न होने के कारण उनके रोजगार के अवसर लगातार खत्म हो रहे हैं। इस अनिश्चितता ने उनके करियर को प्रभावित किया है और वे अब विश्वविद्यालय प्रशासन से जल्द कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं।

स्वास्थ्य क्षेत्र में नर्सिंग स्टाफ की भारी कमी होने के बावजूद नर्सिंग छात्रों की परीक्षाएं लगातार टल रही हैं, जिससे उनकी परेशानियां बढ़ती जा रही हैं। छात्रों का आरोप है कि मेडिकल यूनिवर्सिटी ने परीक्षा और अगले सत्र की फीस तो पहले ही वसूल ली, लेकिन समय पर परीक्षाएं आयोजित नहीं की गईं। इस स्थिति के चलते उनका करियर अधर में लटक गया है और इंटर्नशिप से लेकर नौकरी तक के कई अवसर उनके हाथ से निकल चुके हैं।

अब तक नर्सिंग परीक्षाओं की तारीखें चार बार बदली जा चुकी हैं, जिससे छात्रों में गहरा असंतोष है। जो परीक्षाएं आयोजित की गईं, उनमें से भी केवल आधे अभ्यर्थियों के ही परिणाम घोषित किए गए हैं। इस स्थिति ने न केवल छात्रों की शिक्षा प्रभावित की है, बल्कि उनके करियर को लेकर अनिश्चितता भी बढ़ा दी है। लगातार बदलती तारीखों और अधूरे परिणामों के कारण छात्र मानसिक तनाव का सामना कर रहे हैं।

नर्सिंग छात्रों की मांग है कि उनकी परीक्षाएं तुरंत आयोजित की जाएं और सभी परिणाम समय पर घोषित किए जाएं, ताकि वे आगे की तैयारी सुचारु रूप से कर सकें। छात्रों का कहना है कि बार-बार परीक्षा टलने से उनका समय और मानसिक ऊर्जा दोनों ही बर्बाद हो रहे हैं। इसके साथ ही वे चाहते हैं कि उन्हें इंटर्नशिप और नौकरी के उचित अवसर दिए जाएं, जिससे उनका करियर सही दिशा में आगे बढ़ सके और स्वास्थ्य क्षेत्र में उनकी उपयोगिता सिद्ध हो सके।