दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर हुए अग्निकांड के बाद, इस मामले में जले हुए नोट बरामद होने की घटना अब तूल पकड़ती जा रही है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर इलाहाबाद हाई कोर्ट करने की सिफारिश की है। वहीं, इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित जांच कमेटी ने आज जस्टिस वर्मा के नई दिल्ली स्थित तुगलक क्रिसेंट रोड स्थित सरकारी आवास पर तफ्तीश की।
सर्वदलीय बैठक में उठा मामला
मंगलवार को इस मामले को लेकर एक सर्वदलीय फ्लोर लीडर्स की बैठक आयोजित की गई, जो राज्यसभा के सभापति के साथ करीब एक घंटे तक चली। बैठक में विभिन्न राजनीतिक दलों के फ्लोर लीडर्स ने इस मुद्दे पर अपनी पार्टी में चर्चा करने का निर्णय लिया, ताकि यह तय किया जा सके कि इस मामले में उनकी पार्टी का स्टैंड क्या होगा। हालांकि, बैठक के बाद कोई ठोस नतीजा नहीं निकला कि इस मामले पर आगे क्या कदम उठाए जाने चाहिए। अब जल्द ही एक और बैठक का आयोजन होगा, जिसमें इस मुद्दे पर आगे की कार्रवाई पर चर्चा होगी।
इस मुद्दे पर कांग्रेस ने भी अपना रुख स्पष्ट किया है। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस के नेताओं की एक बैठक सोमवार को हुई, जिसमें जस्टिस वर्मा के मामले पर पार्टी का स्टैंड तय किया गया। कांग्रेस का कहना है कि इस मामले की जांच के दौरान कुछ महत्वपूर्ण सवालों पर ध्यान दिया जाए, जैसे कि जले हुए नोट किसके थे, कहां से आए, क्या यह मामला किसी विशेष केस से जुड़ा हुआ था, और क्यों यह करेंसी रिकॉर्ड में नहीं थी। इसके अलावा, पार्टी ने यह भी मांग की कि जब तक जांच कमेटी की रिपोर्ट नहीं आ जाती, तब तक जस्टिस वर्मा को होल्ड पर रखा जाए।
जांच टीम का दौरा और कार्यवाही
जांच कमेटी ने जस्टिस वर्मा के आवास पर करीब 45 मिनट तक जांच की। टीम में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी.एस. संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की न्यायाधीश अनु शिवरामन शामिल थे। जांच टीम दोपहर करीब 1 बजे जस्टिस वर्मा के आवास पर पहुंची और वहां करीब पौने घंटा तक जांच की।
घटना का घटनाक्रम
14 मार्च की रात करीब 11 बजे जस्टिस वर्मा के घर पर आग लगी थी। जब फायर ब्रिगेड की टीम मौके पर पहुंची, तो उन्हें आग के दौरान तीन से चार बोरे में रखी नोटों में आग लगी हुई मिली। इस दृश्य ने सभी को हैरान कर दिया। फायर कर्मियों ने तुरंत दिल्ली पुलिस कमिश्नर और फायर डायरेक्टर को सूचित किया। इसके बाद दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने गृह मंत्रालय (MHA) को इस घटनाक्रम के बारे में बताया, और सूचना मिलते ही चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) को भी इस घटना की जानकारी दी गई। इसके बाद CJI ने इस मामले की जांच के लिए तीन जजों की एक कमेटी गठित की, जो अब तफ्तीश में जुटी हुई है।