UPI ट्रांजेक्शन पर चार्ज लगाने का प्रस्ताव! पेमेंट काउंसिल ने मोदी को लिखा पत्र

भारत में डिजिटल पेमेंट का सबसे प्रमुख तरीका बन चुका यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) अब एक नई चर्चा का केंद्र बन गया है। हाल ही में, भारत सरकार ने यूपीआई ट्रांजेक्शन और रुपे डेबिट कार्ड पर मर्चेंट फीस लगाने की योजना पर विचार करना शुरू कर दिया है। इस पर पेमेंट काउंसिल ऑफ इंडिया ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर इस फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है।

क्यों बढ़ रहा है दबाव?

सरकार का प्रस्ताव है कि जिन व्यापारियों का वार्षिक जीएसटी टर्नओवर 40 लाख रुपये से अधिक होगा, उनके यूपीआई और रुपे कार्ड ट्रांजैक्शन पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) लागू किया जाए। अभी तक यूपीआई ट्रांजेक्शन पर कोई भी एमडीआर लागू नहीं था क्योंकि यह नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा मैनेज किया जाता था। हालांकि, अब सरकार बड़े व्यापारियों पर शुल्क लगाने की योजना बना रही है।

MDR की नीति का इतिहास

पहले, 2022 से पहले, व्यापारियों को हर ट्रांजेक्शन पर 0.8% तक का MDR बैंक को देना पड़ता था। लेकिन डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, सरकार ने 2022 के बजट में इस शुल्क को खत्म कर दिया था। इसके बाद से यूपीआई को व्यापक स्वीकृति मिली और यह देश में सबसे लोकप्रिय पेमेंट गेटवे बन गया।

पेमेंट काउंसिल का विरोध

पेमेंट काउंसिल ऑफ इंडिया का मानना है कि यूपीआई और रुपे कार्ड पर किसी भी प्रकार का मर्चेंट फीस लगाना व्यापारियों और ग्राहकों दोनों के लिए नकारात्मक होगा। परिषद ने सरकार से आग्रह किया है कि इस निर्णय पर पुनर्विचार किया जाए, ताकि यूपीआई के विकास को और बढ़ावा दिया जा सके।