राजधानी भोपाल में अगले 3 महीने होगी Property की जांच

स्वतंत्र समय, भोपाल

मप्र की राजधानी भोपाल में अब ऐसी प्रॉपर्टी ( Property ) की पहचान होगी, जिसका टैक्स नगर निगम को नहीं चुकाया जा रहा। अगले 3 महीने के अंदर सभी जोन और वार्ड प्रभारी सर्वे करेंगे। फिर निगम कमिश्नर हरेंद्र नारायण को रिपोर्ट सौंपेंगे। इसे लेकर निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी ने आसंदी से निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि यह निगम का हक है।

निगम ने Property टैक्स 10 फीसदी बढ़ा दिया है

राजधानी भोपाल में नगर निगम ने प्रॉपर्टी ( Property ) टैक्स पर 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। यह टैक्स का बोझ 5.62 लाख से ज्यादा उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। उदाहरण के तौर पर एक हजार स्क्वायर फीट के फ्लैट में अभी सालाना 3200 रुपए टैक्स लग रहा है। इस साल से यह अब 3500 रुपए से ज्यादा होगा, लेकिन लाखों प्रॉपर्टी ऐसी भी हैं, जिनका टैक्स नहीं दिया जा रहा, या फिर उनकी वैल्यू टैक्स स्लैब में कम है। इन्हें ही अब ढूंढा जाएगा। इसके लिए सभी जोन और वार्ड प्रभारी प्रॉपर्टी का सर्वे करेंगे। उधर, निगम के बजट में कुल 345 सामाजिक, धार्मिक संस्थाओं को अनुदान के रूप में 25 हजार से 2 लाख रुपए तक दिए जाने का प्रावधान किया है। यह राशि देने का मुद्दा कांग्रेस पार्षदों ने भी उठाया। कहा कि जनता के टैक्स से निगम का संचालन होता है और यही पैसा संस्थाओं को बांटा जा रहा है।

जनप्रतिनिधियों की निधि दोगुनी हुई

भोपाल नगर निगम के बजट में जल, प्रॉपर्टी और ठोस एवं अपशिष्ट पर टैक्स बढ़ाने के साथ कुछ ऐसे फैसले भी लिए गए, जिन्होंने सबको चौंका दिया। शहर सरकार ने जनता पर टैक्स का बोझ डाला है तो दूसरी तरफ जनप्रतिनिधि यानी, पार्षद, एमआईसी मेंबर, अध्यक्ष और महापौर की सालाना निधि दोगुनी कर दी गई है। जैसे- पार्षद की निधि पहले 25 लाख रुपए थी, जो अब 50 लाख रुपए हो गई। महापौर की 5 की जगह 10 करोड़ रुपए निधि की गई है।

बसें हैंं नहीं, स्मार्ट पास किसे देंगे?

महापौर मालती राय ने सिटी बसों के लिए महापौर स्मार्ट पास शुरू करने की घोषणा की हे, लेकिन भोपाल में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की स्थिति ठीक नहीं है। वर्तमान में 100 बसें भी सडक़ों पर नहीं दौड़ रही है, जबकि नौ महीने पहले तक इनकी संख्या 368 तक पहुंच गई थी। ऐसे में महापौर स्मार्ट पास किस काम का? यह सोचने का विषय है।