दुनिया के प्रतिष्ठित ब्रिजों की कतार में अब भारत का नया पंबन ब्रिज भी शामिल हो गया है, जो अपनी अद्वितीय इंजीनियरिंग और डिजाइन के लिए प्रसिद्ध हो रहा है। इस शानदार पुल का निर्माण रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) ने किया है, जो रेल मंत्रालय के अधीन एक नवरत्न कंपनी है। अब, यह नया पंबन ब्रिज अमेरिका के गोल्डन गेट ब्रिज, लंदन के टावर ब्रिज और डेनमार्क-स्वीडन के ओरेसुंड ब्रिज जैसे दुनिया के प्रसिद्ध ब्रिजों की श्रेणी में शामिल हो चुका है। इन सभी पुलों को उनकी तकनीकी उत्कृष्टता और इंजीनियरिंग के लिए जाना जाता है, और पंबन ब्रिज भी अब उसी सम्मान की पात्रता प्राप्त कर चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामनवमी के अवसर पर तमिलनाडु में पंबन ब्रिज का उद्घाटन किया, और इसके साथ ही रामेश्वरम-ताम्बरम (चेन्नई) के बीच नई रेल सेवा को हरी झंडी दिखाई।
कई चुनौतियों का सामना कर खड़ा हुआ पंबन ब्रिज
निर्माण के दौरान इस ब्रिज को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जैसे कि पर्यावरणीय प्रतिबंध, समुद्र की तेज लहरें, तीव्र हवाएं और खराब मौसम। इसके अलावा, यह क्षेत्र चक्रवात और भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील है, इसलिए इंजीनियरों ने अत्यधिक सोच-समझ कर और
भारतीय इंजीनियरिंग के एक नए युग की शुरुआत
इस पुल का उद्घाटन भारतीय इंजीनियरिंग के एक नए युग की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है। यह पुल सिर्फ एक कनेक्शन नहीं, बल्कि तकनीकी उत्कृष्टता का प्रतीक बन चुका है, जिसे “इंजीनियरिंग का चमत्कार” कहा जा रहा है।
जहाज आने पर आटोमेटिक ऊपर उठ जाएंगा पंबन ब्रिज
पंबन ब्रिज के बारे में खास बात यह है कि यह भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट समुद्री पुल है। इसका डिज़ाइन इतना अद्वितीय है कि यह समुद्र के ऊपर बने होने के बावजूद बड़ी जहाजों के लिए रास्ता बनाने के लिए ऊपर उठ सकता है। जब पुल का वर्टिकल लिफ्ट हिस्सा ऊपर उठता है, तो जहाज उसके नीचे से आसानी से गुजर सकते हैं, जिससे रेलवे सेवा और समुद्री यातायात दोनों सुचारु रूप से चलते रहते हैं। इस तकनीक ने इसे दुनिया भर में चर्चित कर दिया है, और अब इसे गोल्डन गेट ब्रिज, टावर ब्रिज जैसे प्रतिष्ठित पुलों की श्रेणी में गिना जाता है।
लिफ्टिंग तकनीक के साथ है कई अन्य खुबियां इस पुल की खासियत सिर्फ इसकी लिफ्टिंग तकनीक में नहीं है, बल्कि इसकी संरचनात्मक मजबूती और सुरक्षा में भी है। इसे मजबूत बनाने के लिए स्टेनलेस स्टील, विशेष सुरक्षात्मक पेंट और वेल्डेड जोड़ का इस्तेमाल किया गया है, जिससे इसकी उम्र और ताकत बढ़ाई गई है। समुद्र की तेज हवाओं और जंग से बचाव के लिए इसे विशेष कोटिंग दी गई है, जिससे यह समय के साथ और भी टिकाऊ बन जाएगा। यह पुल 2.08 किलोमीटर लंबा है और इसमें 99 स्पैन हैं। इसका लिफ्टिंग हिस्सा 72.5 मीटर लंबा है और यह 17 मीटर तक ऊपर उठ सकता है। इस पुल का निर्माण 550 करोड़ रुपये की लागत से हुआ है, और यह पुराने पंबन ब्रिज की जगह पर बनाया गया है, जिसे 1914 में ब्रिटिश इंजीनियरों ने बनाया था।
पुल देंगा पर्यटन, व्यापार को बढ़ावा
नया पंबन ब्रिज न सिर्फ भारतीय इंजीनियरिंग के लिए गर्व का विषय है, बल्कि यह भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए डिज़ाइन किया गया है। इसमें दो रेलवे ट्रैक की व्यवस्था की गई है, जिससे रेल यातायात की गति भी बढ़ेगी और यह भारतीय रेलवे के लिए एक मजबूत आधार साबित होगा।
इस ब्रिज के उद्घाटन से तमिलनाडु के लोग न सिर्फ तकनीकी दृष्टि से लाभान्वित होंगे, बल्कि यह पुल पर्यटन, व्यापार और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अहम साबित होगा, क्योंकि यह रामेश्वरम को भारत की मुख्य भूमि से जोड़ता है और रामायण से जुड़े धार्मिक महत्व को भी समर्पित करता है।