राजेश राठौर
EXCLUSIVE
स्वतंत्र समय, इंदौर
इंदौर में 2000 करोड़ से ज्यादा की डायरियां, फर्जी कालोनाइजर ( Colonizer ) लोगों को बेच चुके हैं। कालोनाइजरों की नीयत तो पहले से ही खराब थी, अब उनको मौका मिल गया है कि बाजार में मंदी चल रही है, हमको पैसा नहीं मिला। सारे प्लाट नहीं बिक पाए, किसान रजिस्ट्री नहीं कर रहे तो हम, ना तो कालोनी का डेवलपमेंट कर पा रहे हैं और ना ही किसी को रजिस्ट्री करने की स्थिति में है।
Colonizer ने दे दी कच्ची लिखा-पढ़ी वाली डायरी
कालोनाइजर ( Colonizer ) ने जिस तरीके से लोगों को कच्ची लिखा-पढ़ी वाली डायरी देकर लूटा है, उसके कारण आम लोग फंस गए है। वो अब डायरी वालों को तो, अब अपने पास फटकने भी नहीं दे रहे हैं। सब के सब गायब हैं, कालोनाइजरों ने भी जरूरत से ज्यादा जमीनें खरीद लीं। किसानों से एग्रीमेंट करके उनको भी बेवकू$फ बनाया। अब डायरी वाले अपने आपको कोस रहे हैं कि हमने डायरी का प्लाट क्यों खरीदा। सबसे बड़ी दिक्कत तो उनको हो रही है, जिन्होंने प्लाट का पूरा पैसा डायरी पर दे दिया। कच्ची लिखा-पढ़ी ने लोगों को इतनी मुश्किल में ला दिया है कि वो अपनी लड़ाई कोर्ट में भी नहीं लड़ सकते हैं। पुलिस और प्रशासन ने तो पहले ही हाथ ऊंचे कर दिए थे। अब पीडि़तों को वकील भी कह रहे हैं कि पक्की लिखा-पढ़ी नहीं होने के कारण हम आपकी कानूनी मदद भी नहीं करवा सकते हैं। अब डायरी के प्लाट वाले कालोनाइजरों के घर पर घेराव करने की बात कर रहे हैं। जबकि हकीकत यह है कि कालोनाइजर लोगों के पैसे खाकर ऐश-मौज की लाइफ जी रहे हैं।