प्रदेश की सबसे बड़ी चोइथराम मंडी में वसूली का एक बड़ा मामला सामने आया है। यहाँ के गेट पर वसूलीबाजों का एक गिरोह सक्रिय है, जो हर दिन लाखों रुपये की वसूली करता है। चोइथराम मंडी, जो इंदौर शहर की महत्वपूर्ण मंडी है, वहां पर 2,000 से ज्यादा वाहनों की रोजाना आवाजाही होती है, और हर वाहन से 50 रुपये से लेकर 5,000 रुपये तक वसूले जाते हैं। इस प्रकार, मंडी गेट पर हर दिन लगभग एक लाख रुपये की वसूली की जाती है।
मंडी के कर्मचारियों की भूमिका
मंडी गेट पर तैनात कर्मचारी इस वसूली में शामिल हैं। ये कर्मचारी वाहन चालकों से टैक्स की रसीद लेने के बाद भी अतिरिक्त पैसे की मांग करते हैं। जब व्यापारी इनकार करते हैं, तो कर्मचारियों द्वारा गाड़ियों को रोक लिया जाता है और बिना पैसे दिए किसी भी गाड़ी को बाहर नहीं निकलने दिया जाता। इस तरह की गतिविधियाँ मंडी के प्रमुख गेट पर प्रतिदिन देखने को मिलती हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह एक संगठित वसूली गैंग का काम है।
व्यापारियों की स्वीकारोक्ति
मंडी में व्यापार करने वाले कई लोग इस वसूली को लेकर परेशान हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि हर दिन उन्हें इन कर्मचारियों को पैसे देने पड़ते हैं, बिना इसके गाड़ियां बाहर नहीं जा सकतीं। इन व्यापारियों के अनुसार, हर गाड़ी से 50 रुपये से लेकर 5,000 रुपये तक वसूले जाते हैं, और यह रकम हर दिन बढ़ती जाती है। यह एक नियमित प्रक्रिया बन चुकी है, जिसका सामना सभी व्यापारियों को करना पड़ता है।
मंडी सचिव नरेश परमार की चुप्पी
मंडी सचिव नरेश परमार का कहना है कि वे इस मुद्दे पर ध्यान देंगे और जरूरी कार्रवाई करेंगे। हालांकि, उन्होंने इस वसूली पर नियंत्रण लगाने के लिए अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं। व्यापारी मानते हैं कि यदि टैक्स सही तरीके से लिया जाए, तो मंडी का राजस्व कहीं अधिक हो सकता है, लेकिन कर्मचारियों द्वारा टैक्स में हेराफेरी की जा रही है, और कम राशि की रसीद देकर बाकी पैसा अपनी जेब में रखा जा रहा है। इस कारण शासन को भी नुकसान हो रहा है।
जांच के लिए किया गया समिति का गठन
म.प्र. राज्य कृषि विपणन बोर्ड ने चोइथराम मंडी गेट पर हो रही जबरन वसूली की घटना की गंभीरता से जांच शुरू कर दी है। इसके लिए एक समिति का गठन किया गया है, जिसमें चन्द्रशेखर वशिष्ठ (संयुक्त संचालक, आंचलिक कार्यालय, उज्जैन) और प्रवीणा चौधरी (प्रभारी संयुक्त संचालक, आंचलिक कार्यालय, इन्दौर) शामिल हैं। समिति को सभी दस्तावेजों की जांच, सीसीटीवी फुटेज, अन्य डिजिटल रिकॉर्ड्स और प्रभावित व्यक्तियों से बातचीत करके दोषी कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की रिपोर्ट 09 अप्रैल 2025 तक प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया है।
यह मामला लंबे समय से चलता आ रहा है, जहां गाड़ियों से बिना रसीद के टैक्स के अतिरिक्त पैसे वसूलने की सूचना है। व्यापारियों और रेहड़ी वालों से भी छोटे-छोटे रकम की वसूली की जाती है, जिससे मंडी की साख भी प्रभावित हो रही है। मंडी सचिव, नरेश परमार ने इस वसूली को लेकर कहा कि वे इसे सही करने के लिए कदम उठाएंगे, लेकिन वर्तमान में दोषियों पर कार्रवाई नहीं की जा रही है।