700 से ज्यादा आपत्तियां मिली इकोनॉमिक corridor में

स्वतंत्र समय, इंदौर

इंदौर-पीथमपुर इकोनॉमिक कॉरिडोर ( corridor ) में 3200 एकड़ जमीन शामिल की गई है और जमीन मालिकों को 36 फीसदी विकसित भूखंड देने का निर्णय राज्य शासन ने किया है। पिछले दिनों एमपीआईडीस ने 17 गांवों में शामिल इन जमीनों के अधिग्रहण को लेकर दावे-आपत्तियां आमंत्रित की थी और 700 से अधिक प्राप्त आपत्तियों पर आज से दो दिन सुनवाई होना है।

corridor के लिए अधिकारी गांव जाकर किसानों से कर रहे बात

वहीं दूसरी तरफ कलेक्टर के निर्देश पर सभी गांवों में अधिकारी जाकर किसानों से चर्चा भी कर रहे हैं और कल 100 से अधिक उन बड़े और प्रमुख किसानों को चर्चा के लिए बुलाया था, जिनकी अधिक जमीनें इस कॉरिडोर ( corridor  ) में शामिल हैं। आज साढ़े 10 बजे से नैनोज रिजलाय, बिसनावदा, सिंदोड़ा,डेहरी, सोनवाय, बागोदा और धन्नड़ के आपत्तिकर्ताओं की सुनवाई शुरू होगी। उक्त इकोनॉमिक कॉरिडोर इंदौर के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इससे औद्योगिक गतिविधियों में तो इजाफा होगा ही, साथ ही इंदौर-पीथमपुर के बीच आवागमन भी सुगम हो सकेगा। लगभग 2200 करोड़ रुपए विकास कार्यों पर खर्च किए जाना है और लैंड पुलिंग एक्ट के तहत जमीनों का अधिग्रहण किया जा रहा है। अब 50 प्रतिशत की बजाय 60 प्रतिशत जमीन किसानों को देने का निर्णय मोहन सरकार की कैबिनेट ने किया है, जिसके चलते 36 फीसदी विकसित भूखंड प्राप्त होंगे। अभी कलेक्टर आशीष सिंह ने पिछले दिनों राजस्व, जिला पंचायत और एमपीआईडीसी के अधिकारियों की बैठक बुलाकर निर्देश दिए कि खुद किसानों तक पहुंचें और उन्हें इकोनॉमिक कॉरिडोर की महत्ता की जानकारी देते हुए बदले में दिए जाने वाले विकसित भूखंडों के लाभको भी बताया जाए।

एमपीआईडीसी के इंदौर-उज्जैन के कार्यकारी संचालक राजेश राठौर के मुताबिक इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिए हैं और सभी तहसीलदारों, राजस्व निरीक्षकों, पटवारियों के लिए अनुविभागीय अधिकारी राऊ द्वारा जो आदेश जारी किए हैं उसके मुताबिक ही बैठकों का दौर भी शुरू हो रहा है। सोमवार को रिजलाय के किसानों के साथ बैठक हुई, तो मंगलवार को बिलनावदा, नावदापंथ और उसके बाद 9 अप्रैल को श्रीराम तलावली, सोनवाय, भैंसलाय, बगोदा, धन्नड़, नरलाय, मोकलाय, शिवखेड़ा के पश्चात 10 अप्रैल को ग्राम डेहरी के किसानों को बुलाया है। इनके साथ ही ग्राम के सरपंच-सचिव भी मौजूद रहेंगे।

जमीन के बदले देंगे विकसित प्लाट

वहीं राठौर के मुताबिक जो प्रमुख और बड़े किसान हैं उनसे भी सीधी चर्चा की जा रही है और आज दोपहर खंडवा रोड स्थित आईटी पार्क के दफ्तर में इन किसानों को चर्चा के लिए बुलाया है। दूसरी तरफ लगातार किसानों से अनुबंध भी जारी हैं और वे एमपीआईडीसी के पक्ष में अपनी जमीनों की रजिस्ट्रियां करवा रहे हैं और फिर बदले में उन्हें विकसित भूखंड दिए जाएंगे और उसकी रजिस्ट्री में भी किसानों को किसी तरह का स्टाम्प शुल्क नहीं चुकाना पड़ेगा। शासन ने एमपीआईडीसी के साथ-साथ किसानों के लिए भी स्टाम्प ड्यूटी माफ कर दी है।