RBI ने दी बड़ी खुशखबरी! UPI के जरिए अब अब दुकानदार को एक बार में भेज सकते हैं इतना पैसा, चेक कर लें नई P2M लिमिट

UPI यूज़र्स के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। अब जब आप किसी दुकान या मर्चेंट को UPI के जरिए पेमेंट करेंगे, तो उस ट्रांजैक्शन की अधिकतम लिमिट को तय करने का अधिकार नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) को मिल गया है। यानी अब NPCI यह तय करेगा कि एक बार में किसी मर्चेंट को कितनी राशि ट्रांसफर की जा सकती है। इससे पहले यह सीमा बैंकों द्वारा निर्धारित की जाती थी, लेकिन अब मर्चेंट पेमेंट्स के मामले में NPCI इसकी निगरानी और नियंत्रण करेगा। इस बदलाव का उद्देश्य पेमेंट सिस्टम को अधिक सुरक्षित और संगठित बनाना है, साथ ही यह कदम डिजिटल पेमेंट के क्षेत्र में पारदर्शिता और नियंत्रण को भी बढ़ावा देगा।

RBI ने इस फैसले को हरी झंडी दे दी है। 7 से 9 अप्रैल तक चली मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की मीटिंग के बाद गवर्नर संजय मल्होत्रा ने यह जानकारी साझा की। अब तक पर्सन-टू-मर्चेंट (P2M) ट्रांजैक्शन की लिमिट ₹2 लाख थी, लेकिन अब यह सीमा NPCI के हाथ में होगी, जो जरूरत के मुताबिक इसे बढ़ा या घटा सकेगा। इसका मतलब है कि व्यापारी को की जाने वाली UPI पेमेंट्स पर अब नियंत्रण और ज्यादा मजबूत होगा। वहीं, पर्सन-टू-पर्सन (P2P) ट्रांजैक्शन की लिमिट में कोई बदलाव नहीं किया गया है और यह पहले की तरह ₹1 लाख ही बनी रहेगी। इस कदम से डिजिटल पेमेंट को सुरक्षित और अधिक नियंत्रित बनाने की दिशा में एक और अहम पहल मानी जा रही है।

P2P और P2M ट्रांजैक्शनों में मुख्य फर्क लेन-देन के प्रकार और उद्देश्य में होता है। P2P (पर्सन-टू-पर्सन) ट्रांजैक्शन तब होता है जब एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को पैसे भेजता है, जैसे दोस्त को उधार लौटाना या परिवार को पैसे भेजना। इस प्रकार के लेन-देन की मौजूदा लिमिट ₹1 लाख है। वहीं, P2M (पर्सन-टू-मर्चेंट) ट्रांजैक्शन तब होता है जब कोई व्यक्ति किसी दुकान, रेस्टोरेंट, या व्यापारी को सामान या सेवा की खरीद के लिए पेमेंट करता है। अभी तक इसकी अधिकतम सीमा ₹2 लाख थी, लेकिन अब RBI की मंजूरी के बाद NPCI को यह अधिकार मिल गया है कि वह इस लिमिट को आवश्यकता अनुसार घटा या बढ़ा सके। इससे व्यापारिक लेन-देन पर और अधिक नियंत्रण संभव होगा।

RBI की MPC मीटिंग की 3 अहम बातें इस बार की बैठक में देश की आर्थिक दिशा को प्रभावित करने वाले कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए।
1. रेपो रेट में कटौती: RBI ने लगातार दूसरी बार रेपो रेट में 0.25% की कटौती की है। अब यह दर 6.25% से घटाकर 6% कर दी गई है। इसका सीधा फायदा आम जनता को मिलेगा, क्योंकि इससे होम लोन और ऑटो लोन की EMI कम हो सकती है।
2. महंगाई और ग्रोथ का अनुमान: रिज़र्व बैंक ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए GDP ग्रोथ 6.5% और महंगाई दर 4% रहने का अनुमान जताया है। RBI का मकसद है कि आर्थिक विकास को गति दी जाए, लेकिन साथ ही महंगाई को भी नियंत्रण में रखा जाए।
3. पिछली मीटिंग में भी कटौती: फरवरी 2025 की MPC बैठक में भी RBI ने ब्याज दरों में 0.25% की कटौती की थी। यानी अब दो बार लगातार रेपो रेट में कमी की गई है, जो यह दिखाता है कि RBI अब नीतिगत तौर पर ग्रोथ को प्राथमिकता दे रहा है।

PI को चलाता है NPCI

भारत में डिजिटल पेमेंट सिस्टम दो मुख्य संस्थाओं के अधीन चलते हैं—RBI और NPCI। RTGS और NEFT जैसे पेमेंट सिस्टम को RBI नियंत्रित करता है, जबकि UPI, IMPS और RuPay जैसे आधुनिक और त्वरित पेमेंट सिस्टम NPCI (National Payments Corporation of India) के अधीन हैं।

UPI कैसे करता है काम?
• UPI इस्तेमाल करने के लिए सबसे पहले एक वर्चुअल पेमेंट एड्रेस (VPA) बनाना होता है।
• यह VPA आपके बैंक अकाउंट से लिंक होता है।
• फिर आप बिना IFSC कोड या अकाउंट नंबर के, केवल मोबाइल नंबर, आधार नंबर या UPI ID से पैसे भेज सकते हैं।
• इससे लेन-देन न सिर्फ आसान होता है बल्कि तेज़ और सुरक्षित भी रहता है।

UPI से क्या-क्या कर सकते हैं?
• किसी को भी पैसे भेजना या मंगवाना
• मोबाइल रिचार्ज, बिजली-पानी जैसे बिल का भुगतान
• ऑनलाइन शॉपिंग
• दुकानों या विक्रेताओं को QR कोड स्कैन करके पेमेंट करना

RBI और NPCI का मकसद

RBI और NPCI का उद्देश्य है कि डिजिटल पेमेंट को और ज्यादा सुरक्षित, तेज और लचीला (Flexible) बनाया जाए।
अब ट्रांजैक्शन लिमिट को मर्चेंट की कैटेगरी और रिस्क फैक्टर के आधार पर तय किया जा सकेगा। इससे फाइनेंशियल फ्रॉड पर भी नियंत्रण पाने में मदद मिलेगी और पेमेंट सिस्टम ज्यादा स्मार्ट बनेगा।