पश्चिम बंगाल में वक्फ कानून के खिलाफ हिंसा, क्या है इसके पीछे की सियासी वजह?

केंद्र सरकार द्वारा वक्फ संशोधन विधेयक को मंजूरी देने के बाद से पूरे देश में इसका विरोध हो रहा है, लेकिन पश्चिम बंगाल में ही इस मुद्दे पर हिंसा बढ़ती जा रही है। मुर्शिदाबाद जिले के जंगीपुर और सुती में वक्फ के खिलाफ प्रदर्शन हिंसक हो गए हैं, जिसमें सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुँचाया गया है, पुलिस पर हमले किए गए हैं और रेल यातायात ठप कर दिया गया है। इस हिंसा को देखते हुए बीएसएफ को तैनात करना पड़ा। इसके बावजूद, सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर बंगाल में ही ऐसा क्यों हो रहा है?

राज्यपाल ने की हस्तक्षेप, ममता पर निशाना

मुर्शिदाबाद में बढ़ती हिंसा के बीच बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने हस्तक्षेप किया और सरकार को सख्त निर्देश दिए हैं कि वे जल्द से जल्द स्थिति पर काबू पाएं। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भी बातचीत की और बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी इस पर चर्चा की गई है। हालांकि, सवाल यह उठ रहा है कि क्यों बंगाल में ही वक्फ कानून पर इतने बड़े पैमाने पर हिंसा हो रही है, जबकि अन्य राज्यों में ऐसा नहीं हुआ।

ममता का मुस्लिम वोटबैंक और सियासी खेल

पश्चिम बंगाल में करीब 32% मुस्लिम आबादी है और इन्हें तृणमूल कांग्रेस का प्रमुख वोटबैंक माना जाता है। आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए, ममता बनर्जी ने वक्फ कानून का जोरदार विरोध किया और ऐलान किया कि बंगाल में इसे लागू नहीं होने दिया जाएगा। ममता खुद को मुस्लिमों का मसीहा दिखाने की कोशिश कर रही हैं, ताकि आगामी चुनावों में वह मुस्लिम वोटों को अपने पक्ष में कर सकें।

वक्फ विरोध और शिक्षा घोटाला

राजनीतिक विश्लेषक पार्थ मुखोपाध्याय के अनुसार, राज्य में शिक्षक भर्ती घोटाला एक और महत्वपूर्ण मुद्दा है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा 26,000 शिक्षकों की नौकरी रद्द किए जाने के बाद, ममता बनर्जी अपनी राजनीतिक छवि को सुधारने के लिए वक्फ को एक हॉट टॉपिक बना रही हैं। इसके जरिए वह लोगों का ध्यान घोटाले से हटाकर धर्म के मुद्दे पर केंद्रित करना चाहती हैं। इस मुद्दे को लेकर सोशल मीडिया पर अफवाहें फैल रही हैं कि वक्फ कानून लागू होने के बाद मुसलमानों की धार्मिक संपत्तियां खतरे में पड़ जाएंगी, जिससे असंतोष पैदा हो रहा है।

धर्म के आधार पर ध्रुवीकरण: ममता बनर्जी की रणनीति

ममता बनर्जी की रणनीति धर्म के आधार पर ध्रुवीकरण की लग रही है। सीएए (नागरिकता संशोधन कानून) के खिलाफ बंगाल में जब विरोध प्रदर्शन हुए थे, तब भी वही स्थिति देखने को मिली थी, जिसमें हिंसा और विरोध प्रदर्शनों ने राज्य में राजनीतिक माहौल को गरमाया था। ममता अब वक्फ के खिलाफ हिंसा को एक नया राजनीतिक हथियार बनाकर मुस्लिम वोटों को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रही हैं।

भाजपा का कड़ा हमला और प्रतिक्रिया

इस बीच, भा.ज.पा. ने ममता बनर्जी पर हमला बोलते हुए कहा है कि वह धर्म के आधार पर राजनीति कर रही हैं। भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने ममता को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि बंगाल में कट्टरपंथी समूहों के द्वारा हिंसा और अराजकता फैलाई जा रही है। भाजपा ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से इस हिंसा पर त्वरित कार्रवाई की मांग की है, और कहा है कि बंगाल के कुछ जिलों में अनुच्छेद 355 लागू किया जाना चाहिए, ताकि स्थिति पर नियंत्रण पाया जा सके।

असम में शांतिपूर्ण स्थिति, बंगाल में हिंसा का अंतर

जहां बंगाल में वक्फ के खिलाफ हिंसा फैल रही है, वहीं असम में 40% मुस्लिम आबादी होने के बावजूद स्थिति शांतिपूर्ण बनी हुई है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि असम पुलिस ने कुशलता से स्थिति को नियंत्रित किया और शांति बनाए रखी। उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा कि असम में लोग जाति, धर्म और समुदाय से परे मिल-जुलकर रह रहे हैं, और बोहाग बिहू जैसे त्योहारों की खुशी में एकजुट हैं।

पुलिस कार्रवाई और अफवाहों पर नियंत्रण

पुलिस ने स्थिति पर काबू पा लिया है और जंगीपुर, सुती और शमशेरगंज में हिंसा करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है। पुलिस ने यह चेतावनी दी है कि अफवाह फैलाने वाले तत्वों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी और जनता से शांति बनाए रखने की अपील की है।