राजेश राठौर
exclusive
स्वतंत्र समय, इंदौर
जरूरत से ज्यादा इंदौर में मल्टियां बनने के और प्रापर्टी में आयी मंदी के कारण पन्द्रह हजार से ज्यादा फ्लैट ( flats ) नहीं बिक रहे हैं। इन फ्लैट को बेचने के लिए बिल्डर, इंदौर विकास प्राधिकरण और नगर निगम परेशान हैं। शहर की कई कालोनियों और टाउनशिप में इतनी ज्यादा मल्टियां बन गईं कि अब खरीदार भी नहीं मिल रहे हैं। इंदौर विकास प्राधिकरण की स्कीम 140 में बनी मल्टी के ही फ्लैट बिके हैं। बाकी स्कीम 134, 136, स्कीम 51 से लेकर तमाम जगह प्राधिकरण ने मल्टीस्टोरियों में फ्लैट बनाये थे लेकिन वो पूरे नहीं बिक पाए।
ida के 1000 flats पड़े हुए हैं खाली
लगभग 1000 फ्लैट इंदौर विकास प्राधिकरण के खाली पड़े हुए हैं। कुछ फ्लैट ( flats ) के तो दरवाजे-खिड़कियां भी टूट गए, कुछ मल्टियों में जाने का रास्ता प्राधिकरण नहीं बना पाया, इस कारण भी फ्लैट नहीं बिके। यही हाल़त इंदौर नगर निगम की है। प्रधानमंत्री आवास योजना में बने 1000 से ज्यादा फ्लैट, नगर निगम अभी तक नहीं बेच पाया। जो फ्लैट बिके हैं उनकी भी किस्त नहीं मिल पा रही है। नगर निगम तो फ्लैट बनाने के कारण हो रहे आर्थिक घाटे से भी परेशान है। निजी बिल्डरों की बात करें तो बायपास से लेकर सुपर कॉरिडोर तक बनी ढाई सौ से ज्यादा मल्टियों के फ्लैट खाली पड़े हैं। शहरी क्षेत्र में भी जो फ्लैट खाली पड़े हैं उनकी संख्या भी हजारों में है। ऐसी कई मल्टियां हैं जिनमें आधे से ज्यादा फ्लैट खाली हैं। ‘निपानियां से लेकर राऊ’ जैसे कई बड़े इलाके हैं, जहां फ्लैट नहीं बिक रहे हैं। पूरे शहर में ढाई सौ से ज्यादा ऐसी मल्टियां हैं जिनमें फ्लैट किराए से भी नहीं जा रहे, ऐसी स्थिति में बिल्डर परेशान हो गए हैं। दूरस्थ इलाकों में बनी टाउनशिप में छोटी-छोटी जो मल्टियां बनी हैं उनके फ्लैट भी नहीं बिक रहे। कई मल्टियों में तो ये हाल़त हो गई है कि फ्लैट धूल खा रहे हैं। करोड़ों रूपये के फ्लैट नहीं बिकने से बिल्डरों ने जो बैंक से पैसे लिए थे, उनकी किस्त भी जमा नहीं कर पा रहे हैं। ब्याज माफियाओं से इन बिल्डरों ने पैसे लिए हैं वो ब्याज नहीं चुका पा रहे, इस कारण से जिनसे ब्याज पर पैसा लिया है उनको मजबूरी में फ्लेट की रजिस्ट्री कर रहे हैं ताकि ब्याज माफियाओं की दादागिरी सहन नहीं करना पड़े। कुल मिलाकर प्रापर्टी में आयी मंदी के कारण कई बिल्डर अंदरूनी तौर पर तो ‘दिवालिया’ हो चुके हैं। बस, ‘सार्वजनिक रूप से दिवालिया’ घोषित होना बाकी है। ‘दैनिक स्वतंत्र समय’ हमेशा लोगों के हित की बात करता रहा है, हम तो यही कहेंगे कि जिस भी मल्टी में कोई फ्लैट खरीद रहा है तो पहले ये देख ले कि कहीं वो बिल्डिंग अवैध तो नहीं है, नक्शे के विपरीत तो कोई निर्माण नहीं हुआ है। इसके लिए लोग जिस मल्टी में फ्लैट खरीद रहे हैं, उस मल्टी का नक्शा नगर निगम से सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त कर सकते हैं। बिल्डिंग में पार्किंग और पानी की पर्याप्त सुविधा है या नहीं, ये भी देखना जरूरी है। बाकी लोग जानें कि उन्हें अपना पैसा डुबाना है या बचाना है।