भारतीय पत्रकारिता महोत्सव में आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ‘शिक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)’ विषय पर एक गंभीर और प्रेरणादायक व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि AI भले ही तेजी से आगे बढ़ रहा हो, लेकिन इसके सही उपयोग के लिए मानव बुद्धि यानी ह्यूमन इंटेलिजेंस की आवश्यकता सदैव बनी रहेगी।
एक किसान की मिसाल से की शुरुआत
सिसोदिया ने अपने भाषण की शुरुआत महाराष्ट्र के एक किसान के उदाहरण से की, जिसने AI तकनीक का इस्तेमाल कर अपनी फसलों की कीमत न केवल दोगुनी की, बल्कि कृषि में भी आधुनिक तकनीकों का सफल प्रयोग किया। उन्होंने इसे इस बात का प्रमाण बताया कि यदि सही दिशा में उपयोग किया जाए, तो AI भारत के भविष्य को बदल सकता है।
AI अपनाने से पहले स्कूलों की हालत सुधारनी होगी
सिसोदिया ने कहा कि शिक्षा में AI को अपनाने के लिए सबसे पहले देश के सभी स्कूलों में आधारभूत सुविधाएं सुनिश्चित करनी होंगी। आज भी भारत के 48% स्कूलों में बिजली नहीं है, कंप्यूटर लैब्स और प्रशिक्षित शिक्षक नहीं हैं, और इंटरनेट जैसी बुनियादी सुविधा का अभाव है। “हमारे स्कूलों का पाठ्यक्रम आज भी दशकों पुराना है। जब तक हम इसे अपडेट नहीं करते, छात्रों को डिजिटल रूप से सशक्त नहीं बनाते, तब तक AI जैसी तकनीकें सिर्फ सपना ही रहेंगी।”
30 करोड़ विद्यार्थी और 2 करोड़ शिक्षकों को बनाना होगा सक्षम
पूर्व उपमुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि अगर भारत को विकसित राष्ट्रों की कतार में खड़ा होना है, तो शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि देश के 30 करोड़ छात्रों और 2 करोड़ शिक्षकों को AI और नई तकनीकों के लिए प्रशिक्षित करना होगा। “ये बदलाव 50 साल नहीं, महज़ 3 साल में संभव हैं, अगर इच्छाशक्ति और राजनीतिक दूरदृष्टि हो।”
राजनीतिक इच्छाशक्ति और जनता की जागरूकता दोनों जरूरी
सिसोदिया ने बताया कि आज तक विकसित राष्ट्रों ने अपनी शिक्षा व्यवस्था को प्राथमिकता दी है। भारत के पास भी वह क्षमता है, लेकिन इसके लिए एक दूरदर्शी नेतृत्व और जनता की जागरूकता जरूरी है। उन्होंने कहा कि लोगों को ऐसे नेताओं को चुनना चाहिए जो शिक्षा को देश के भविष्य की नींव मानते हों।
23 करोड़ आवेदन, सिर्फ 7 लाख नौकरियां
अपने वक्तव्य में उन्होंने हाल ही में संसद में पूछे गए एक प्रश्न का हवाला देते हुए बताया कि पिछले 10 सालों में 23 करोड़ युवाओं ने सरकारी नौकरी के लिए आवेदन किया, लेकिन केवल 7 लाख को ही रोजगार मिला। उन्होंने कहा कि इस भयावह आंकड़े को बदलने के लिए शिक्षा को ही सबसे बड़ा हथियार बनाना होगा।
ह्यूमन इंटेलिजेंस रहेगी हमेशा प्रासंगिक
सिसोदिया ने अंत में कहा कि चाहे AI कितनी भी तरक्की कर ले, वह कभी भी मानव विवेक और अनुभव की जगह नहीं ले सकती। उन्होंने इसे “AI और मानव बुद्धि के बीच सामंजस्य” का नाम दिया और कहा कि आने वाले समय में दोनों को साथ लेकर चलना होगा। कार्यक्रम के पश्चात सिसोदिया ने आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं से अनौपचारिक मुलाकात भी की।