इंदौर सहित देश के अन्य तेजी से बढ़ते शहरों में ट्रैफिक व्यवस्था और सड़कों की चौड़ाई को लेकर अक्सर बहस होती रही है। लेकिन क्या वाकई हर समस्या का हल सिर्फ सड़कें चौड़ी करना ही है? विशेषज्ञों और शहरी योजनाकारों का मानना है कि यह सोच अब पुरानी हो चुकी है और हमें नए नजरिए से शहर के भीतर यातायात और विकास की रणनीति बनानी चाहिए।
मास्टर प्लान की कल्पना और वर्तमान ज़मीनी हकीकत
मास्टर प्लान में जो अधिकतम चौड़ाई सड़कों के लिए निर्धारित होती है, वह भविष्य की कल्पना पर आधारित होती है— जब शहर की आबादी एक करोड़ या उससे ज्यादा होगी। लेकिन वर्तमान में इंदौर जैसे शहर की आबादी लगभग 25-27 लाख के आसपास है, ऐसे में इतनी विशाल चौड़ाई की जरूरत फिलहाल नहीं है।
कम ट्रैफिक, फिर भी चौड़ी सड़कों की होड़ क्यों?
शहर के मौजूदा ट्रैफिक को देखें तो वह उतना भारी नहीं है, जितना कि हाईवे जैसे क्षेत्रों में होता है। न गति वैसी है, न ट्रैफिक का घनत्व। उदाहरण के तौर पर लंदन जैसे शहर में आज भी 30 से 40 फीट चौड़ी सड़कों पर ट्रैफिक सुचारू रूप से चलता है— वो भी वन वे व्यवस्था के साथ।
अव्यवस्था का समाधान: पार्किंग और आदतों में सुधार
इंदौर के जवाहर मार्ग जैसे बड़े मार्गों की बात करें तो वहां 60 फीट चौड़ाई के बावजूद केवल 22-25 फीट ही वाहन चालकों के उपयोग में आ पाती है। बाकी जगह अवैध पार्किंग या अन्य गतिविधियों में घिरी होती है। इसका समाधान सड़कों को चौड़ा करना नहीं, बल्कि स्मार्ट पार्किंग व्यवस्था, वन वे ट्रैफिक मैनेजमेंट और नागरिकों की आदतों में सुधार है।
विकास के नाम पर तोड़फोड़ नहीं, नीति में सुधार जरूरी
शहर के पुराने हिस्सों में बेतहाशा तोड़फोड़ कर सड़कें चौड़ी करने की बजाय ज़रूरत है भूमि विकास नियमों में व्यवहारिक बदलाव की। प्लॉटों का संयुक्तीकरण, ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राइट्स (TDR) जैसे उपाय, जो चीन के संधाई शहर में 30-40 साल पहले अपनाए गए, आज वहां की सफलता का आधार हैं।
नया रास्ता चुने शहर
समझदारी इसी में है कि शहर की मौजूदा संरचना और विरासत को बचाते हुए, ट्रैफिक के लिए सस्टेनेबल समाधान निकाले जाएं। सड़कें चौड़ी करने से ज्यादा ज़रूरी है शहर की सोच को चौड़ा करना। जब शहरी नियोजन में स्थानीय जरूरतों और व्यावहारिकता को प्राथमिकता दी जाएगी, तब इंदौर जैसे शहर पूरे देश में आदर्श बन सकते हैं।