इंदौर नगर निगम अब शहर की व्यवस्था को हाईटेक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है। जल्द ही हर घर को यूनिक आईडी नंबर और उसके साथ एक क्यूआर कोड प्लेट दी जाएगी, जिसे मकान के बाहर लगाया जाएगा।
यह क्यूआर कोड स्कैन करते ही उस घर की सभी जरूरी जानकारियां जैसे टैक्स डिटेल, जल कर स्थिति और भवन का प्रकार सामने आ जाएंगी। इस योजना की शुरुआत सुदामा नगर से की जा रही है, जहां करीब 7 हजार मकानों का काम पहले चरण में होगा। यह प्रोजेक्ट सीएसआर फंड से पूरा कराया जा रहा है।
रायपुर मॉडल से मिली प्रेरणा, इंदौर में भी होगा राजस्व में इजाफा
इस हाईटेक सिस्टम की प्रेरणा छत्तीसगढ़ के रायपुर से ली गई है, जहां अब तक करीब चार लाख घरों को क्यूआर कोड से जोड़ा जा चुका है। रायपुर नगर निगम को इससे न सिर्फ राजस्व में बढ़ोतरी मिली, बल्कि नागरिकों को भी सुविधाएं सरलता से मिलने लगीं। इंदौर नगर निगम भी अब उसी तर्ज पर आगे बढ़ रहा है। योजना की शुरुआत नगर के वार्ड 82 से होगी, जो कि महापौर पुष्यमित्र भार्गव का निवास स्थान भी है। योजना को 45 दिन में पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है।
सर्वे से होगा मकानों का डाटा अपडेट
यूनिक आईडी जारी करने से पहले निगम द्वारा संबंधित वार्डों में सर्वे कराया जाएगा। इसमें मकानों की निर्माण स्थिति, संपत्ति कर की जानकारी, उपयोग (आवासीय या व्यावसायिक), और जल कर की स्थिति का मिलान किया जाएगा। यदि कहीं गड़बड़ी पाई गई, जैसे कम टैक्स देना या गलत निर्माण, तो टीम रिपोर्ट तैयार करेगी। इससे नगर निगम के राजस्व में भी उल्लेखनीय वृद्धि की संभावना है।
अब नहीं होंगे मकान नंबरों में भ्रम
इंदौर की कई कॉलोनियों में मकानों की गिनती और नंबरिंग बेहद बेतरतीब है। नई व्यवस्था में हर मकान को एक डिजिटल यूनिक नंबर मिलेगा, जिसे स्कैन करने पर सही जानकारी सामने आएगी। इस क्यूआर कोड प्लेट में हर फ्लैट को अलग पहचान दी जाएगी, जिससे सेक्टर और गलियों के नामों में होने वाली गड़बड़ियों से छुटकारा मिलेगा।
निजता का भी रखा गया है पूरा ध्यान
क्यूआर कोड स्कैन करने के बाद भी हर व्यक्ति जानकारी नहीं देख सकेगा। इसके लिए मकान मालिक का मोबाइल नंबर डालना होगा, जिस पर एक ओटीपी आएगा। ओटीपी वेरीफिकेशन के बाद ही जानकारी दिखाई देगी। इससे डेटा सिक्योरिटी और प्राइवेसी बनी रहेगी। नगर निगम के अधिकारी और अधिकृत लोग इस सिस्टम के जरिए पूरी जानकारी एक्सेस कर सकेंगे।
प्लेट्स होंगी हाई क्वालिटी की, मौसम का नहीं पड़ेगा असर
क्यूआर कोड वाली जो प्लेटें मकानों पर लगाई जाएंगी, उन्हें बेहतर गुणवत्ता की सामग्री से बनाया जा रहा है ताकि बारिश, धूप या ठंड जैसे मौसम का इन पर कोई असर न हो। यह पूरी प्रक्रिया सीएसआर फंड से संचालित की जाएगी। भविष्य में इसे अन्य सरकारी विभागों जैसे पुलिस, बिजली विभाग आदि से भी जोड़ा जा सकता है।
निगम का लक्ष्य – स्मार्ट इंदौर, स्मार्ट नागरिक
इंदौर नगर निगम की यह पहल न केवल शहर की छवि को और स्मार्ट बनाएगी, बल्कि इससे आम नागरिकों को सुविधा, पारदर्शिता और सरल प्रक्रिया का लाभ मिलेगा। टैक्स पेमेंट से लेकर शिकायत निवारण तक सभी सेवाएं एक ही डिजिटल प्लेटफॉर्म से संभव हो सकेंगी।