इंदौर में शेड विवाद गरमाया, महापौर बोले- ट्रैफिक सुधारेंगे, विज्ञापन घटाएंगे

इंदौर की सड़कों पर गर्मी से राहत देने के मकसद से लगाए गए शेड अब विवाद की वजह बन गए हैं। शेड पर लगे बड़े-बड़े विज्ञापन न केवल शहर की सुंदरता को बिगाड़ रहे हैं, बल्कि कई जगहों पर ट्रैफिक अवरोध का कारण भी बन रहे हैं। नगर निगम आयुक्त शिवम वर्मा के सख्त रुख के बाद अब खुद महापौर पुष्यमित्र भार्गव भी मैदान में उतर आए हैं।

उन्होंने स्पष्ट किया है कि जिन शेड पर जरूरत से ज्यादा विज्ञापन लगाए गए हैं, उन्हें हटाया जाएगा और जहां ट्रैफिक प्रभावित हो रहा है, वहां व्यवस्थाएं दुरुस्त की जाएंगी।

शेड लगे, लेकिन विज्ञापनों ने बढ़ाई मुश्किलें

भीषण गर्मी में नागरिकों को राहत देने के उद्देश्य से नगर निगम और विभिन्न संस्थाओं ने मिलकर शहर के कई चौराहों पर शेड लगवाए हैं। यह पहल लोगों को धूप से बचाने के लिए की गई थी, जिससे सिग्नल पर रुकते समय वाहन चालकों और पैदल यात्रियों को थोड़ी राहत मिले।

हालांकि इन शेड पर व्यावसायिक विज्ञापन लग जाने से अब इस मानवीय पहल पर सवाल उठने लगे हैं। नागरिकों और ट्रैफिक पुलिस ने कई चौराहों पर विज्ञापन की ओट में सिग्नल छिपने या दृष्टि अवरुद्ध होने की शिकायतें की हैं।

निगम आयुक्त पहले ही दे चुके थे चेतावनी

इससे पहले नगर निगम आयुक्त शिवम वर्मा ने संस्थाओं को सख्त चेतावनी देते हुए कहा था कि यदि शेड से विज्ञापन नहीं हटाए गए तो उन्हें हटाकर सफेद रंग से ढंका जाएगा या ग्रीन नेट लगाई जाएगी। निगम आयुक्त ने स्पष्ट किया था कि सार्वजनिक हित में की गई किसी भी पहल को कमाई का जरिया नहीं बनने दिया जाएगा।

महापौर ने जताई चिंता, उठाए सुधार के कदम

इस मुद्दे पर अब महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने भी बयान दिया है। उन्होंने कहा, “जनभागीदारी से शहर में राहत पहुंचाने का प्रयास किया गया था। यदि इससे ट्रैफिक व्यवस्था प्रभावित हो रही है या अति विज्ञापन लग गए हैं, तो सुधार जरूर किया जाएगा।”

महापौर का यह बयान यह संकेत देता है कि आने वाले दिनों में शहर की प्रमुख ट्रैफिक लोकेशंस पर समीक्षा की जाएगी और विज्ञापनों की संख्या सीमित की जाएगी।

कुछ जगहों पर रोका गया शेड लगाने का काम

सूत्रों की मानें तो विवाद को देखते हुए कुछ स्थानों पर शेड लगाने का काम फिलहाल रोक दिया गया है। इससे पहले भी वर्ष 2023 में ग्रीन नेट लगाकर धूप से राहत देने की पहल की गई थी, जो कम लागत और कम विवादों के साथ पूरी हुई थी। लेकिन इस बार शेड के साथ विज्ञापनों की अति ने इस लोकहितकारी पहल को व्यवसायिक रूप दे दिया, जो अब नगर निगम के लिए असहज स्थिति पैदा कर रहा है।