नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने एक कार्यक्रम में कहा कि अगर भारत मौजूदा रफ्तार से आगे बढ़ता रहा, तो अगले तीन वर्षों में जर्मनी और जापान को पछाड़ देगा और 2047 तक भारत $30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनकर दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बन सकता है।
तीव्र गति से आगे बढ़ रही है भारतीय अर्थव्यवस्था
इस वक्त भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। सुब्रह्मण्यम ने कहा, “अगले साल के अंत तक हम चौथे स्थान पर पहुंच जाएंगे और उसके बाद तीसरे पर।” IMF के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में भारत की अर्थव्यवस्था $4.3 ट्रिलियन डॉलर की है।
ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था की ओर भारत का कदम
नीति आयोग प्रमुख ने कहा कि भारत अब उन समस्याओं से आगे निकल चुका है जहां चिंता केवल भोजन और वस्त्र तक सीमित थी। “अब बात इस पर है कि हम ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था कैसे बना सकते हैं।” उन्होंने भारतीय कंपनियों से अपील की कि वे कानून, अकाउंटिंग और अन्य क्षेत्रों में वैश्विक नेतृत्व की भूमिका निभाने की दिशा में सोचें।
लोकतंत्र और जनसंख्या भारत की सबसे बड़ी ताकत
सुब्रह्मण्यम ने कहा कि भारत के पास जो सबसे बड़ा लाभ है, वह है लोकतांत्रिक व्यवस्था और विशाल युवा आबादी। “जापान और जर्मनी जैसे देश अब भारत से स्वास्थ्य सेवा पेशेवर मांग रहे हैं। जापान को 15,000 और जर्मनी को 20,000 भारतीय स्वास्थ्यकर्मियों की आवश्यकता है।” उन्होंने इसे भारत के लिए एक वैश्विक मानव संसाधन आपूर्ति केंद्र बनने का संकेत बताया।
भारत बन सकता है दुनिया का एजुकेशन हब
उन्होंने इस ओर भी इशारा किया कि भारत शिक्षा के क्षेत्र में भी वैश्विक केंद्र बन सकता है। “बुनियादी ढांचे से ज़्यादा ज़रूरी है गुणवत्ता और लोकतांत्रिक सोच – जो भारत की विशेषता है।”
भविष्य भारत का है
2047 तक भारत का लक्ष्य सिर्फ आर्थिक महाशक्ति बनना नहीं, बल्कि एक ऐसा राष्ट्र बनना है जो सशक्त, समावेशी और वैश्विक नेतृत्वकर्ता की भूमिका निभाए। भारत की युवा शक्ति, लोकतांत्रिक मूल्य और तकनीकी प्रगति इसे आने वाले दशकों की सबसे चमकती अर्थव्यवस्था बना सकती है।