एमपी के सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों के लिए जरूरी खबर, इस महीने हट सकता है तबादले से बैन

मध्यप्रदेश सरकार ने तीन साल बाद कर्मचारियों के ट्रांसफर पर लगे प्रतिबंध को हटाने की तैयारी कर ली है। सरकार ने नई तबादला नीति 2025 का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है, जिसे अप्रैल के अंत तक कैबिनेट की बैठक में मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा। इस नई नीति के तहत सीमित अवधि के लिए ट्रांसफर की अनुमति दी जाएगी, जिससे वर्षों से स्थानांतरण का इंतजार कर रहे हजारों कर्मचारियों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। माना जा रहा है कि इससे प्रशासनिक कामकाज में लचीलापन आएगा और कर्मचारियों की पारिवारिक व व्यक्तिगत समस्याओं का समाधान भी आसान होगा।

मध्यप्रदेश में पिछले तीन वर्षों से ट्रांसफर पर लगे प्रतिबंध के कारण सरकारी अधिकारी-कर्मचारी लंबे समय से तबादले का इंतजार कर रहे थे। लेकिन अब उनके लिए राहत की खबर आई है। राज्य सरकार ने तबादला नीति 2025 का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है, जिसे इस माह के अंत तक कैबिनेट की मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सलाह पर इस ड्राफ्ट में कुछ आंशिक बदलाव भी किए गए हैं, ताकि नीति को अधिक व्यावहारिक और कर्मचारियों के हित में बनाया जा सके। इससे न केवल कर्मचारियों को स्थानांतरण की सुविधा मिलेगी, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था में भी सुधार की उम्मीद है।

अप्रैल में मिल सकती है हरी झंडी

सूत्रों के अनुसार, सामान्य प्रशासन विभाग ने ट्रांसफर पॉलिसी 2025 का मसौदा तैयार कर लिया है, जिसे अप्रैल माह के अंत तक होने वाली कैबिनेट बैठक में प्रस्तुत किया जाएगा। जैसे ही कैबिनेट से इस नीति को मंजूरी मिलती है, प्रदेश में पिछले तीन वर्षों से ट्रांसफर पर लगे प्रतिबंध को हटाया जा सकता है। बताया जा रहा है कि यह छूट सीमित अवधि के लिए होगी, जो लगभग 15 दिन से लेकर एक महीने तक दी जा सकती है। इस दौरान अधिकारी-कर्मचारी स्थानांतरण की प्रक्रिया में शामिल हो सकेंगे और अपनी प्राथमिकताओं के अनुसार आवेदन कर सकेंगे।

क्या खास होगा नई तबादला नीति में?
मध्यप्रदेश सरकार की नई तबादला नीति 2025 में कई महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल किए गए हैं, जो इसे पहले की नीतियों की तुलना में अधिक पारदर्शी, संवेदनशील और व्यवस्थित बनाते हैं। इस नीति के तहत निम्नलिखित प्रमुख बिंदुओं को शामिल किया गया है:
• मंत्रियों को अधिकार: संबंधित विभागों के मंत्रियों को अपने विभाग के कर्मचारियों के तबादले का अधिकार होगा।
• जिले के भीतर तबादले: जिले के अंदर ट्रांसफर की जिम्मेदारी प्रभारी मंत्री को सौंपी जाएगी।
• जिले से बाहर ट्रांसफर: ये स्थानांतरण विभागीय मंत्रियों की अनुशंसा के आधार पर किए जाएंगे।
• राजपत्रित अधिकारियों का समन्वय: इनका तबादला केवल मुख्यमंत्री के समन्वय से संभव होगा।
• तीन साल से अधिक समय से एक ही स्थान पर जमे अधिकारी होंगे प्राथमिकता पर: ऐसे अधिकारियों को अन्य जिलों में स्थानांतरित किया जाएगा, जिससे कार्यस्थलों में संतुलन बना रहे।
• सीमित संख्या में ट्रांसफर: प्रत्येक विभाग में अधिकतम 10% कर्मचारियों का ही तबादला किया जा सकेगा।
• ऑनलाइन प्रक्रिया की सुविधा: खासकर शिक्षा और स्वास्थ्य विभागों के लिए ट्रांसफर प्रक्रिया को डिजिटल किया जाएगा, ताकि पारदर्शिता बनी रहे और प्रक्रिया सरल हो।

2021-22 के बाद पहली बार लागू होगी नई पॉलिसी
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में पिछली बार ट्रांसफर पॉलिसी वर्ष 2021-22 में लागू की गई थी। इसके बाद तीन साल तक ट्रांसफर पर पूर्ण प्रतिबंध रहा, जिससे हजारों कर्मचारी प्रभावित हुए। अब जब नई नीति लागू होने की तैयारी है, इससे न केवल कार्यस्थलों में प्रशासनिक संतुलन स्थापित होगा, बल्कि कर्मचारियों की लंबे समय से लंबित मांग भी पूरी होगी।

कर्मचारियों को मिलेगी बड़ी राहत

अगर यह नीति तय समय पर लागू होती है, तो यह प्रदेश के हजारों सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए एक बड़ी राहत साबित होगी। लंबे समय से स्थानांतरण की प्रतीक्षा कर रहे कर्मचारी अब अपनी पारिवारिक, स्वास्थ्य या अन्य सामाजिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए ट्रांसफर के लिए आवेदन कर सकेंगे। इससे जहां उन्हें व्यक्तिगत स्तर पर संतुलन मिलेगा, वहीं विभागों में नई ऊर्जा, सकारात्मक बदलाव और कार्यकुशलता का भी संचार होगा। नई नीति न केवल कर्मचारियों के लिए अवसरों के नए द्वार खोलेगी, बल्कि प्रशासनिक ढांचे में भी लचीलापन और पारदर्शिता लाएगी।