हेलीकॉप्टर संकट में फंसी भारतीय सेनाए, बार- बार हो रही दुर्घटनाएं

भारतीय सेनाओं के ऊपर इन दिनों एक बड़ा संकट मंडरा रहा है, और वो है – हेलीकॉप्टरों का संकट! पहले ही चेतक और चीता जैसे पुराने हेलीकॉप्टरों की बार-बार दुर्घटनाएं सेना के लिए परेशानी बन गई है। अब एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर ‘ध्रुव’ की उड़ानों पर भी ब्रेक लग चुका है। इस कारण सेना को अपने मिशन के लिए सिविल हेलीकॉप्टरों का सहारा लेना पड़ रहा है।

हेलीकॉप्टर का ‘स्वैशप्लेट’ टुटने से हुई दुर्घटना
सबसे बड़ा झटका 5 जनवरी को तब लगा, जब गुजरात के पोरबंदर में तटरक्षक बल का एक ALH ध्रुव हादसे का शिकार हो गया। इस दर्दनाक दुर्घटना में दो पायलट और एक एयरक्रू डाइवर शहीद हो गए। शुरुआती जांच में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि हेलीकॉप्टर का ‘स्वैशप्लेट’ टूट गया था जो कि एक ऐसी तकनीकी खामी, जो बाकी हेलीकॉप्टरों में भी हो सकती है। इसी वजह से एहतियातन पूरे देश में सभी ध्रुव हेलीकॉप्टरों को ग्राउंड कर दिया गया है।

सेना की रीढ़ बने थे ये हेलीकॉप्टर
एचएएल द्वारा बनाए गए ध्रुव हेलीकॉप्टर 2002 से भारतीय सेना की सेवा में हैं। अभी थलसेना के पास 180 से अधिक एएलएत हैं, जिनमें से करीब 60 ‘रुद्र’ हथियारबंद वर्जन हैं। वायुसेना के पास 75, नौसेना के पास 24 और तटरक्षक बल के पास 19 ध्रुव मौजूद हैं। लेकिन इन सभी को ग्राउंड करने से सेना के रुटीन और इमरजेंसी मिशन रुक गए हैं।
चीन और पाकिस्तान बॉर्डर पर बढ़ी मुश्किलें एएलएच हेलीकॉप्टरों पर सेना विशेष रूप से ऊंचाई वाले इलाकों में टोही, राहत और बचाव अभियानों के लिए निर्भर थी जिसमें खासकर चीन और पाकिस्तान से सटी सीमाओं पर। लेकिन अब ये मिशन ठप हैं। पायलटों को सिमुलेटर पर अभ्यास करना पड़ रहा है – असली उड़ानों की जगह वर्चुअल ट्रेनिंग ही एकमात्र विकल्प बन गई है।
संकट में भी राहत की उम्मीद
हालांकि हालात गंभीर हैं, पर पूरी तरह निराशाजनक नहीं। सेना ने अस्थायी समाधान के रूप में सिविल हेलीकॉप्टरों की मदद लेनी शुरू कर दी है। उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर सिविल हेलीकॉप्टरों से सैनिकों को ऊंचाई वाले चौकियों तक पहुंचाया जा रहा है और रसद की सप्लाई जारी है। अगर समय रहते यह कदम नहीं उठाया गया होता, तो अग्रिम मोर्चों पर हालात और भी गंभीर हो सकते थे।

अप्रैल अंत तक आ सकती है जांच रिपोर्ट
इस हादसे की गंभीरता को देखते हुए एचएएल ने बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान से तकनीकी सहायता ली है। उम्मीद की जा रही है कि अप्रैल के अंत तक जांच रिपोर्ट सामने आ जाएगी, जिससे भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं को रोका जा सकेगा।