6 साल में पहली बार राहत की सांस, महंगाई दर 3.34% पर, सरकार और RBI की नीतियों का दिखा असर

देश की जनता के लिए एक अच्छी खबर सामने आई है। वित्त वर्ष 2025 की शुरुआत के साथ ही खुदरा महंगाई (Retail Inflation) छह साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है। फाइनेंस मिनिस्ट्री द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, मार्च में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित महंगाई घटकर महज 3.34% रह गई है। यह आंकड़ा न सिर्फ बीते वर्ष की तुलना में काफी कम है, बल्कि 2018-19 के बाद से सबसे निचला स्तर भी है।

महंगाई में गिरावट के पीछे सरकार और RBI की कुशल रणनीति

वित्त मंत्रालय ने इस बड़ी गिरावट का श्रेय सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की प्रभावी रणनीतियों को दिया है। मंत्रालय के मुताबिक, आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी यानी मौद्रिक नीति और सरकार की ओर से खाद्य आपूर्ति की निरंतरता बनाए रखने के प्रयासों ने महंगाई पर नियंत्रण पाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

फूड प्राइस में गिरावट बनी सहारा, उच्च आधार प्रभाव ने भी किया सहयोग

खाद्य वस्तुओं की कीमतों में कमी और ‘हाई बेस इफेक्ट’ यानी पिछले साल के उच्च स्तर की तुलना में इस साल के कम आंकड़े, दोनों ने मिलकर महंगाई को नीचे लाने में मदद की। मार्च 2024 में CPI महंगाई दर 8.52% थी, जबकि फरवरी 2025 में यह 3.75% थी। अब यह घटकर 3.34% हो गई है, जो यह दर्शाता है कि महंगाई में लगातार गिरावट का ट्रेंड बना हुआ है।

RBI गवर्नर का बयान: वित्त वर्ष 2026 में और राहत की उम्मीद

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने हाल ही में हुई मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक में कहा कि आने वाले समय में महंगाई में और गिरावट की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि खाद्य वस्तुओं के दाम स्थिर हैं और सप्लाई चेन में कोई बड़ा दबाव नहीं है, जिससे आने वाले महीनों में उपभोक्ताओं को और राहत मिल सकती है।

जनता को राहत, अर्थव्यवस्था को मजबूती

महंगाई दर में इस गिरावट से न केवल आम आदमी की जेब पर असर पड़ेगा, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। खर्च करने की क्षमता बढ़ेगी, जिससे बाजार में मांग को बल मिलेगा और आर्थिक ग्रोथ को नई गति मिलेगी।