रामानंद तिवारी, भोपाल
मध्यप्रदेश में केन्द्र की स्वीकृति के बाद मुख्य सचिव ( CS ) बने अनुराग जैन शिद्दत से अपने कार्यों को अमलीजामा पहना रहे हैं। प्रदेश की दिशा और दशा बदलने के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं। लेकिन आईएएस अफसरों की दूसरी लॉबी की शह पर कुछ अफसर उनके खिलाफ मुहिम चला कर मुख्यमंत्री मोहन यादव की मंशा को भी पलीता लगाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे हैं। मुख्य सचिव के बार-बार बोलने के बाद भी अफसर उनकी बात का इंप्लीमेंट करने में गुरेज कर रहे हैं। ऐसा मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई पर्यवेक्षण समिति की बैठक में देखने को मिला। अफसर बैठक में कई प्रस्ताव चर्चा के लिए लेकर पहुंचे,लेकिन मुख्य सचिव को प्रोपर जस्टिफिकेशन नहीं दे सके।
‘कई बार से बोल रहा हूं कि केन्द्र से राशि मांग लो’: CS
मुख्य सचिव ( CS ) अनुराग जैन ने नगरीय विकास विभाग के एसीएस को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि आपसे मैने कितनी बार कहा है कि केन्द्र से राशि मांग लो,लेकिन आप मांगते ही नहीं। जैन की इस बात के जवाब में अपर मुख्य सचिव बोले 10 दिन में प्रस्ताव बनाकर भेज दूंगा। हालांकि उज्जैन जलवर्धन योजना जो कि 939 करोड़ की है, उसे स्वीकृत कर दिया गया है। बैठक में अफसरों के जवाबों से मुख्य सचिव अनुराग जैन इतना फैडअप हो चुके थे कि नगरीय विकास विभाग के एक प्रस्ताव पर चर्चा के बाद अन्य प्रस्तावों पर चर्चा ही नहीं की और बैठक की इतिश्री कर दी गई।
पीए, एसीएस बैठक में शामिल हुए अधूरी जानकारी लेकर
मुख्य सचिव अनुराग जैन ने बैठक में अफसरों से कहा कि ऐसा क्यों करते हो,कुछ भी ले आते हो,बता भी नहीं पाते। दरअसल, 2028 में उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ की तैयारियों को लेकर मंत्रालय में पर्यवेक्षण समिति की बैठक में तकरीबन 8 से 10 विभागों के एसीएस एवं पीएस शामिल हुए। उनमें से कई अफसरों को अपने विभाग की कार्यप्रणाली की पुख्ता जानकारी ही नहीं थी। राजस्व विभाग के अफसरों के सरकारी क्वार्टर बनाए जाने वाले प्रस्ताव पर मुख्य सचिव ने पूछा कि आप लोग एच,जी, ई, एफटाईप के क्वार्टर बनाए जाने का प्रस्ताव लेकर आए हो, करोड़ों रूपए खर्च होंगे। इन क्वार्टरों का सिंहस्थ के बाद क्या उपयोग होगा। एफ टाईप क्वार्टर तो अफसरों के पास पूर्व से ही है। सीएस ने अफसरों से पूछा कि यह तो बताओ की क्वार्टरों की जरूरत क्या है। सीएस के इतना पूछते ही अफसर बगले झांकने लगे।
उधर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अफसरों से पंच कोशी परिक्रमा में पानी की व्यवस्था करने वाले प्रस्ताव पर सीएस ने पूछा कि पिछले सिंहस्थ में क्या व्यवस्था रही। पंच कोशी यात्रा आज से शुरू नहीं हुई वह तो सौ सालों से चल रही है। जिम्मेदार अफसर सीएस को समाधान कारक उत्तर नहीं दे सके।
पीएचई विभाग के अफसरों को भी आड़े हाथ लेते हुए सीएस ने पूछा कि आप लोग करोड़ों रूपए की डिमांड हैडपंप एवं पानी की व्यवस्था के लिए कर रहे हैं। उन्होंने प्रमुख सचिव से पूछा कि पूर्व में करोड़ों रूपए खर्च करके जो हैंडपंप लगवाए गए उनकी वर्तमान स्थिति क्या है। अफसर सटीक उत्तर नहीं दे सके, क्योंकि उसकी जानकारी बैठक के समय उनके पास थी ही नहीं। सीएस ने प्रमुख सचिव से कहा कि पूर्व में किए गए कार्यों की वस्तु स्थिति की मॉनीटरिंग करवाई जाए। सीएस ने अफसरों द्वारा बैठक में लेकर पहुंचे कई प्रस्तावों के बारे में पूछा कि आप लोग जो भी प्रस्ताव लेेकर आए है उनका उपयोग क्या है। सिंहस्थ के लिए कितने जरूरी है।
जल संसाधन विभाग के एसीएस भी बैठक में मौजूद रहे। हालांकि जलसंसाधन विभाग के कार्य पूर्व से ही चल रहे हंै। उसकी प्रोग्रेस पर चर्चा हुई। साढ़े 29 किलोमीटर के घाट का कार्य चल रहा है एवं डेम का कार्य भी पूर्व में शुरू हो चुका है। कब तक पूर्ण हो सकेगा एवं भविष्य के रख रखाब को लेकर भी विस्तृत में चर्चा हुई।