प्रदेश में प्रति मंगलवार होने वाली जनसुनवाई अब शायद अधिकारियों के लिए मजाक बन गई है। अधिकारियों को गरीबों का दर्द दिखाई नहीं देता उनकी समस्याएं अधिकारियों के लिए कोई मायने नहीं रखती यह अलग बात है कि इसी के लिए अधिकारियों की तैनाती की गई है। जब किसी की जमीन पर कब्जा हो जाए को बाहुबली या गुंडागर्दी से कोई असक्षम या गरीब का मकान दुकान या जमीन छिन ले तो फिर अधिकारियों की जरूरत ही क्या है। देश में जंगलराज ही चला देना चाहिए जिसके पास शक्ति होगी वहीं जीयेगा वरना मर जाएंगा। लेकिन अधिकारियों को ऐसी फिलिंग शायद कम ही आती है। लेकिन जिन अधिकारियो को ऐसा महसूस होता है। जो अधिकारी अपनी मानवता के साथ कुर्सी संभालते है वह हर संभव प्रयास करते है कि सिस्टम सुधरें, ऐसे ही है हमारे कलेक्टर आशीष सिंह जिनकी सादगी और मानवीय संवेदनाओं से भरे होन के चर्चे आम है।
कलेक्टर ने दिए सख्त निर्देश
कलेक्टर को जैसे ही इन बातों की जानकारी मिली कि उनकी अनुपस्थिती में अधिकारी भी गायब रहते है तो जिला प्रशासन की गलियारों में एक खास गूंज सुनाई दी – “अब जनसुनवाई में कोई कोताही नहीं!” कलेक्टर आशीष सिंह की अध्यक्षता में आयोजित हुई समय-सीमा पत्रों की समीक्षा बैठक में प्रशासन के आला अधिकारियों को स्पष्ट शब्दों में निर्देश दिए गए। हर मंगलवार होने वाली जनसुनवाई में सभी अधिकारी अनिवार्य रूप से मौजूद रहें, नहीं तो अब अधिकारियों पर भी कार्रवाई की जाएंगी। कलेक्टर ने हर विभाग को चेताया कि यदि किसी अधिकारी ने जनसुनवाई को हल्के में लिया या शिकायतों के निराकरण में ढिलाई बरती, तो उनके विरुद्ध सीधी कार्रवाई की जाएगी। बैठक में लंबित प्रकरणों पर विशेष चर्चा हुई, और कलेक्टर ने उन मामलों को जल्द सुलझाने के सख्त निर्देश दिए।
सड़कों पर खड़ी बसें और जलती नरवाई भी आईं निशाने पर
बैठक में यातायात व्यवस्था सुधारने पर भी गंभीर चर्चा हुई। कलेक्टर ने परिवहन विभाग और सभी एसडीएम से कहा – “अगर सड़कों पर कोई भी यात्री बस खड़ी मिली, तो तुरंत जब्त करें। अब सड़कें बसों की पार्किंग नहीं रहेंगी।
ये रहे बैठक में मौजूद
बैठक में नगर निगम आयुक्त शिवम वर्मा, अपर कलेक्टर गौरव बेनल, जिला पंचायत के सीईओ सिद्धार्थ जैन, आईडीए के सीईओ आर.पी. अहिरवार, सहित प्रशासन के कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।