अब रामचरितमानस बनेगा विज्ञान की क्लास का हिस्सा! भोज विश्वविद्यालय का अनोखा कदम

अब तक आपने रामचरितमानस को सिर्फ धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से पढ़ा होगा, लेकिन अब इसमें छिपा विज्ञान भी शिक्षा का अहम हिस्सा बनने जा रहा है! मध्य प्रदेश के भोज मुक्त विश्वविद्यालय ने एक अनोखा और अभिनव कदम उठाते हुए रामचरितमानस को वैज्ञानिक नजरिए से पढ़ाने वाला स्नातक पाठ्यक्रम शुरू करने की घोषणा की है। इस विशेष पाठ्यक्रम में रामचरितमानस की चौपाइयों के माध्यम से भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान और पर्यावरण विज्ञान जैसे विषयों की गहराई को उजागर किया जाएगा। यानी अब भगवान राम की गाथा सिर्फ भक्ति का नहीं, बल्कि वैज्ञानिक सोच और ज्ञान का माध्यम भी बनेगी।

जब चौपाइयाँ बनेंगी विज्ञान की कुंजी
पाठ्यक्रम में रामचरितमानस के विभिन्न कांडों से चुनी गईं चौपाइयों का विश्लेषण कर विद्युत चुंबकीय क्षेत्र, गुरुत्वाकर्षण बल, और पर्यावरण संतुलन जैसे सिद्धांतों को समझाया जाएगा।
जैसे – “हिमगिरि कोटि अचल रघुवीरा…” — इस एक चौपाई से स्थिरता, गहराई और विशालता जैसे गुणों के साथ गुरुत्वाकर्षण और फिजिक्स के मूलभूत सिद्धांतों को जोड़ कर सिखाया जाएगा।

गणित और मेंडेलिज्म अब सरल भाषा में
रामकथा के भावों और छंदों की मदद से अब जटिल विज्ञान और गणित के सूत्र भी बच्चों को सरल और काव्यात्मक ढंग से समझ में आएंगे। पाठ्यक्रम में मेंडेल के आनुवंशिक नियम, रासायनिक अभिक्रियाएं, और प्रभाविता के सिद्धांत जैसी जटिल बातें अब मन को छू लेने वाले उदाहरणों से समझाई जाएंगी।

भारतीय संस्कृति की वैज्ञानिकता से जुड़ेंगे विद्यार्थी
भोज विश्वविद्यालय के कुलसचिव सुशील मंडेरिया के अनुसार, “इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य है कि विद्यार्थी सिर्फ वैज्ञानिक तथ्यों को न सीखें, बल्कि भारतीय संस्कृति और साहित्य की वैज्ञानिक सोच को भी समझें और आत्मसात करें। पहले जहां डिप्लोमा स्तर पर ही यह प्रयास सीमित था, वहीं अब इसे स्नातक स्तर पर विस्तारित किया गया है, जिससे ज़्यादा विद्यार्थी इस पहल का हिस्सा बन सकें।