2034 में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का सपना होगा साकार

देश की चुनावी व्यवस्था में ऐतिहासिक बदलाव की ओर बड़ा कदम उठाया गया है। केंद्र सरकार ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के विजन को जमीन पर उतारने के लिए एक विस्तृत योजना और मजबूत रोडमैप तैयार कर लिया है।

अगर सब कुछ तय प्लान के मुताबिक चलता है, तो 2034 में भारत में पहली बार लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएंगे।

टास्क फोर्स ने दिखाई राह, 2029 से शुरू होगा सफर

सरकार ने इस महत्वाकांक्षी योजना के लिए एक उच्चस्तरीय टास्क फोर्स का गठन किया था, जिसने अपनी सिफारिशों में एक चरणबद्ध प्रक्रिया सुझाई है। टास्क फोर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 2029 से जन-जागरूकता अभियान की शुरुआत की जाएगी, जिसमें आम जनता, सामाजिक संस्थाएं और बुद्धिजीवी वर्ग को जोड़ा जाएगा। इस अभियान के जरिए ‘एक देश, एक चुनाव’ को जनआंदोलन का रूप दिया जाएगा।

2034 तक एक साथ चुनाव की तैयारी, कैसे होगा यह मुमकिन?

सरकार का लक्ष्य है कि 2029 में आंध्र प्रदेश, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम के विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ कराए जाएं। इसके बाद 2029 से 2034 के बीच जिन राज्यों में चुनाव होने हैं, उनके कार्यकाल को समायोजित कर 2034 तक लाया जाएगा, ताकि सभी राज्यों और लोकसभा के चुनाव एक साथ हो सकें। जरूरत पड़ी तो कुछ विधानसभाओं का कार्यकाल अंतरिम उपायों के जरिए बढ़ाया भी जा सकता है।

पांच बड़े फायदे: टास्क फोर्स की रिपोर्ट का फोकस

टास्क फोर्स द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में इस प्रणाली को लागू करने के पांच प्रमुख लाभ बताए गए हैं:

  • चुनाव खर्च और प्रशासनिक लागत में भारी कटौती
  • शासन और नीति निर्माण में स्थायित्व
  • केंद्र और राज्यों के बीच बेहतर समन्वय
  • मतदाता सहभागिता में वृद्धि

देश की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव

एक अनुमान के मुताबिक, वर्तमान व्यवस्था में हर चुनाव चक्र पर देश को करीब 7 लाख करोड़ रुपए खर्च करने पड़ते हैं, जबकि एक साथ चुनाव होने पर यह खर्च घटकर 2 लाख करोड़ रह सकता है। यानी लगभग 5 लाख करोड़ रुपए की सीधी बचत।

ईवीएम पर कायम रहेगी सरकार की नीति

हालांकि संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में चर्चा के दौरान कुछ सदस्यों ने बैलेट पेपर प्रणाली की वापसी का सुझाव दिया था, लेकिन सरकार ने साफ कर दिया कि यह विचार समिति के दायरे में नहीं आता। चुनाव इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के जरिए ही कराए जाएंगे और बैलेट पेपर में वापसी की कोई योजना नहीं है।

22 अप्रैल को होगी जेपीसी की अहम बैठक

इस प्रस्तावित बिल को लेकर बनाई गई संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की अगली बैठक 22 अप्रैल को होगी। इसमें ‘एक देश, एक चुनाव’ पर विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की जाएगी और अंतिम स्वरूप तय किया जाएगा।