प्रॉपर्टी का डब्बा गोल, पार्ट- 46: हवा में उड़ गया फिर master plan


राजेश राठौर
exclusive

स्वतंत्र समय, इंदौर

भ्रष्ट अफसर किसी शहर के हित में कुछ नहीं सोचते, इसका सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि इंदौर का मास्टर प्लान ( master plan ) अभी तक नहीं बना है। कब मास्टरप्लान के प्रारूप का प्रकाशन होगा इसका अंदाजा तो अब शायद भगवान भी नहीं लगा पायेंगे। कोर्ट की तारीखों की तरह तारीख पर तारीख बढ़ती जा रही है आधा अप्रैल बीत गया, अभी तक ऐलान नहीं हुआ।

master plan के अभाव में भूमाफिया की चांदी

तीन महीने से जनप्रतिनिधि और अफसर कह रहे हैं कि जल्द ही मास्टर प्लान ( master plan  ) आयेगा लेकिन दुर्भाग्य है कि जिन अफसरों के हाथ में यह काम है वो ‘कुंडली मारकर’ बैठ गये हैं। अंदरूनी तौर पर तो खबर आ रही है कि मास्टर प्लान बनकर तैयार है, प्रारूप के प्रकाशन के पहले हरियाली कम ज्यादा करने की लड़ाई चल रही है। यह लड़ाई जब तक आर्थिक हित पूरे नहीं करेगी, तब तक मास्टर प्लान के प्रारूप का प्रकाशन नहीं होगा। वैसे अब मास्टर प्लान को लेकर जब तक ऐलान नहीं हो जाता तब तक कुछ भी कहना मुश्किल है। मास्टर प्लान के अभाव में इंदौर में ‘भू-माफियाओं की चांदी’ है। अवैध कालोनियां रोज कट रहीं हैं, ‘बेतरतीव विकास’ की अनुमतियां टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के अफसर लाखों रूपये लेकर दिए जा रहे हैं। इंदौर के विकास को ‘लकवा’ हो गया है, जिसकी सर्जरी मास्टर प्लान के प्रारूप के प्रकाशन के साथ हो सकती है। जनता और जनहित जाये भाड़ में अफसर और जनप्रतिनिधि तो मास्टर प्लान के बहाने ‘करोड़ों रूपये डकारने’ के चक्कर में हैं। अहिल्या बाई की जय …