इंदौर से land mafia का कचरा पेटी की तरह सफाया जरूरी


राजेश राठौर
exclusive

स्वतंत्र समय, इंदौर

इंदौर को अब भूमाफियाओं ( land mafia ) से मुक्ति दिलाने का समय आ गया है। स्वच्छता के मामले में जिस तरह से सबसे पहले इंदौर नगर निगम ने कचरा पेटी हटाने का सबसे बड़ा काम किया था, उसके बाद कचरा फेंकने वालों से करोड़ों रुपए का जुर्माना वसूला। ठीक उसी तरह से  जब इन भूमाफियाओं को कचरा पेटी की तरह ट्रेचिंग ग्राउंड यानि शहर से बाहर कर दिया जाएगा, उस दिन इंदौर प्रापर्टी के मामले में हजार गुना ज्यादा उन्नति कर सकता है।

land mafia से निपटने के लिए बनाना चाहिए टास्क फोर्स


सबसे बड़ी शुरुआत उन कालोनाइजरों ( land mafia ) से करना चाहिए जिन्होंने रंगीन ब्रोशर छपवाकर, लोगों की भावनाओं से खेलकर, लाखों रुपए लूट लिए लेकिन प्लाट नहीं दिया। जिन्होंने प्लाट बेच दिए लेकिन कालोनी का डेलपमेंट पूरा नहीं किया। इसके अलावा जो बिल्डर माफिया है जो हर हालत में अवैध निर्माण मंजूर नक्शे से ज्यादा करता है, उन पर भी रोजाना हथोड़े चलाने की जरूरत है। लोग अवैध मल्टियों में दुकानें, आफिस और शोरूम खरीद लेते हैं, वहां पर पार्किंग की जगह नहीं होती। इंदौर में जितनी भी मल्टीस्टोरी में पार्किंग की जगह निर्माण कर दिया है उसको तोडऩे का अभियान तो चला था लेकिन बाद में मामला बिगड़ गया। अब तो सरकार को चाहिए कि इंदौर के भूमाफिया, बिल्डर माफिया, फार्म हाउस माफिया से निपटने के लिए एक अलग टास्क फोर्स बना देना चाहिए, जिसमें अधिकारियों और कर्मचारियों की पोस्टिंग की जाए, सभी को एक साथ नोटिस देकर छह महीने या साल भर तक अभियान चलाना चाहिए। एक बार जब कचरा पेटी की तरह इनका सफाया होगा, तब कहीं जाकर इंदौर प्रापर्टी के मामले में शुद्ध हो पाएगा। अब इंदौर को कलंकित भूमाफियाओं से बचाने के लिए ये जरूरी हो गया है कि लोगों को न्याय मिले, डायरी पर सौदे करने और डायरी खरीदने-बेचने वालों को जेल भेज देना चाहिए। इंदौर में अब ये कहने से काम नहीं चलेगा कि हर मकान तो अवैध बना है। जिस तेज गति से इंदौर में ट्रैफिक जाम की समस्या हर मिनट बढ़ती जा रही है, उससे निपटने के लिए ये सब करना जरूरी है। इंदौर में पार्किंग की समस्या भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती जा रही है। करोड़ों रुपयों की सडक़ों पर वाहन पार्क होते हैं। आखिर इंदौर को कौन बचाने आगे आएगा, तेजी से विकसित शहर को अपंग होने से कौन बचाएगा, यदि इन समस्याओं से इंदौर को मुक्ति नहीं मिली तो इंदौर बड़ा गांवड़ा घोषित हो जाएगा। इंदौर में अब सख्त फैसले लेने की जरूरत है, अभी तो कोई चुनाव भी नहीं है। ‘दैनिक स्वतंत्र समय’ की जनप्रतिनिधियों और अफसरों से अपील है कि इंदौर को बर्बाद होने से बचा लीजिए। अफसरों से ज्यादा जवाबदारी जनप्रतिनिधियों की है जिनको इसी शहर में जीना और मरना है… बाकी राम जाने।