पहलगाम का साज़िशी साया – घाटी में छिपे दहशत की परतें अब खुलने लगीं

कश्मीर की वादियों में जब बर्फ की चादर पिघल रही थी, उसी वक्त पहलगाम की शांत घाटियों में गोलियों की गूंज ने देशवासियों को चौंका दिया। बैसरन की घाटी में हुए इस आतंकी हमले की गूंज सिर्फ बंदूक की नहीं थी बल्कि एक गहरी,साजिश होने की ओर इशारा कर रही है।

साजिशकर्तोओं तक पहुंचने का प्रयास
काश्मीर की फीजा में फिर से आतंक फैलाने वालों की खोज में अब एनआईए की टीम मैदान में उतरी है। एएनआई यहां पर आंतकी घटना के चश्मदीदों से लगातार पूछताछ कर रही है। जिससे हर बयान को जोड़कर एक पूरी तस्वीर बनाने की कोशिश की जा रही है। फॉरेंसिक टीमें, खुफिया इकाइयां, और स्थानीय पुलिस मिलकर आतंकियों के आने-जाने के रास्तों की सूक्ष्म जांच कर रहे हैं। इसकों लेकर एनआईए की टीमें पहलगाम में डटी हुई हैं।

आतंकियों की पनाहगार बन गया है यह क्षैत्र
बैसरन की घाटी में एएनआई की जांच से हड़कंप मच गया है। यहां पर 63 से ज्यादा आतंकी ठिकानों पर छापेमारी, 1500 से अधिक संदिग्ध हिरासत में—जिनमें अकेले अनंतनाग से 175 हैं। शोपियां, पुलवामा और कुलगाम में आतंकियों के घर ध्वस्त कर दिए गए हैं। लश्कर, जैश और हिजबुल के कई टॉप कमांडरों के घर अब सिर्फ मलबा हैं। अहसान उल हक शेख, शाहिद कुट्टे, जाकिर गनी—ये सिर्फ नाम नहीं, घाटी में सालों से पल रही साजिशों की जड़ें हैं।

एएनआई की जांच ओवरग्राउंड वर्कर्स
एनआईए के निशाने पर हैं वो ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGWs), जो छाया की तरह आतंकियों को रसद, पनाह और जानकारी मुहैया कराते हैं। सुरक्षा एजेंसियों की नजर उन 14 लोकल आतंकियों पर है, जो पाकिस्तानी आतंकियों के लिए इस धरती को आसान बना रहे हैं। इसको लेकर श्रीनगर और अनंतनाग में ताबड़तोड़ छापेमारी हुई। मोबाइल चेकपॉइंट्स और हाई अलर्ट के बीच, हर गली, हर गांव को खंगाला जा रहा है। कोई भी संदिग्ध गतिविधि एजेंसियों की नजर से बच नहीं सकती।

घने जंगलो से मिले हथियार
कुपवाड़ा में एक बड़ा आतंकी ठिकाना ध्वस्त किया गया। मच्छिल के सेंदोरी नाला के घने जंगलों में छिपा था। वो ठिकाना, जहां से बरामद हुईं है पाँच एके-47, आठ मैगजीन, सैकड़ों गोलियां, एक पिस्तौल और M4 के राउंड्स। यह केवल हथियार नहीं, एक रची गई बड़ी साजिश के सबूत थे। इससे यह बात तो पता चल ही जाती है कि