पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले ने भारत और पाकिस्तान के बीच के रिश्तों में फिर एक बार उबाल ला दिया है। शायद पाकिस्तान भूल गया था कि इस पर भारत की सत्ता में बैठे लोगों की रणनीति के सामने पाकिस्तान अदना सा है। पाकिस्तान सिर्फ और सिर्फ आतंक फैलाना ही जानता है वही भूल जाता है अपनी औकात, पाकिस्तान जिसका खूद का कोई वजूद तो लगभग खत्म सा है। इस देश ने कभी खुद को विश्व पटल मे आगे आने की प्लानिंग नहीं की। यहां का युवा कैसा विजन रखे वह पाकिस्तान के एक युवा नेता ने अपनी गीदड़ भभकी में कल दिया था। लेकिन जब उसको हकीकत समझ में आई तो शायद उसके पैरो तले की भी जमीन खिसक गई होगी जिसके चलते ही उसने तुरंत गिरगिट की तरह अपना रंग बदल लिया।
पाकिस्तान को आज बता रहा शांतिदूत
पहले जहां सिंध की रैली में भुट्टो ने गरजते हुए कहा था — “या तो हमारा पानी सिंधु में बहेगा या भारत का खून!” — वहीं अब वही भुट्टो शांति और बातचीत की बात कर रहे हैं। एक टीवी इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि पाकिस्तान हमेशा से भारत के साथ बातचीत का इच्छुक रहा है, लेकिन भारत ने इससे इनकार कर दिया। हालांकि भारत ने इस बयान पर कोई नरमी नहीं दिखाई। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बिलावल के बयान पर सीधा और सख्त जवाब देते हुए कहा कि “उन्हें कहो कि पानी में कूद जाएं, लेकिन जब पानी ही नहीं बचेगा तो कूदेंगे कैसे?”
अब बयानबाजी नहीं एक्शन होगा
भारत ने साफ कर दिया है कि अब सिर्फ़ बयानबाज़ी से काम नहीं चलेगा। अब एक्शन का जवाब एक्शन से ही मिलेगा। इस पूरे घटनाक्रम ने एक बात तो साफ कर दी है कि भारत अब आतंक के खिलाफ किसी भी हद तक जा सकता है और पाकिस्तान को ये बात अच्छे से समझ में आ चुकी है। बिलावल भुट्टो का सुर बदलना इसी का सबूत है।