मध्यप्रदेश में 71 करोड़ रुपये के आबकारी फर्जी बैंक चालान घोटाले की जांच के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आज सुबह बड़ी कार्रवाई की। ED की 18 टीमों ने एक साथ इंदौर, भोपाल और जबलपुर में आबकारी विभाग के अधिकारियों और ठेकेदारों के ठिकानों पर छापेमारी की। सूत्रों के मुताबिक, घोटाले की वास्तविक राशि 72 से 100 करोड़ रुपये के बीच होने की संभावना जताई जा रही है, और जांच के दौरान कई अहम दस्तावेज और सबूत बरामद किए गए हैं।
यह घोटाला शराब कारोबारियों और आबकारी अधिकारियों के गठजोड़ से फर्जी चालानों के जरिए अंजाम दिया गया था। शिकायतकर्ता राजेंद्र गुप्ता ने इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) को साक्ष्य और बयान सौंपे थे। इसके बाद 6 मई को ED ने इस घोटाले में प्राथमिकी दर्ज की और आबकारी आयुक्त से पांच बिंदुओं पर विस्तृत जानकारी मांगी थी। हालांकि, आबकारी विभाग द्वारा भेजी गई जानकारी को ED ने अधूरी बताते हुए दोबारा पूरी और विस्तृत जानकारी प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।
जांच में सामने आया कि शराब कारोबारियों ने केवल 10 हजार रुपये बैंक में जमा कराए और षड्यंत्रपूर्वक चालानों में इस राशि को 10 लाख रुपये दर्शाकर वेयरहाउस से देसी और विदेशी शराब उठा ली। इस गड़बड़ी से कारोबारियों को भारी मुनाफा हुआ, जबकि सरकार को 1% इनकम टैक्स और 8% परिवहन शुल्क के रूप में लगभग 97.97 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। कुल 194 फर्जी चालानों के जरिए इस घोटाले को अंजाम दिया गया। आबकारी आयुक्त की रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे बड़ी गड़बड़ी 2015 से 2018 के बीच इंदौर जिले में हुई थी, जहां कूटरचित चालानों के जरिए शासन को लगभग 42 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया गया।
ED की रेड
इस मामले में हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि इस घोटाले में आबकारी अधिकारियों की ठेकेदारों के साथ मिलीभगत से इनकार नहीं किया जा सकता। इसके बाद सरकार ने आईएएस स्नेहलता श्रीवास्तव की अध्यक्षता में एक विभागीय जांच समिति गठित की थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट में दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की सिफारिश की। अब इसी मामले में आज ईडी की टीम ने इंदौर के साथ-साथ भोपाल और जबलपुर में भी आरोपियों के ठिकानों पर छापेमारी की है।