श्योपुर शहर में अक्षय तृतीया पर मुख्यमंत्री विवाह योजना के तहत हैवी मशीनरी टीनशेड परिसर एक लापरवाह नज़ारे का गवाह बना, जहां मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के अंतर्गत 231 जोड़े परिणय सूत्र में बंधे। इस भव्य विवाह सम्मेलन की कमान नगर पालिका और जनपद पंचायत ने संभाली थी, लेकिन इस आयोजन में एक अप्रत्याशित मोड़ तब आया, जब व्यवस्था संभाल रहे 10 मुस्लिम शिक्षकों की मौजूदगी को लेकर विवाद खड़ा हो गया। ये मुस्लिम शिक्षक विवाह वैदी पर बैठे दुल्हा-दुल्हन का विवाह करवा रहे थे। ऐसा यहां आए लोगों का कहना है। इस घटना के बाद विवाह सम्मेलन कराने वाले जनपद पंचायत के सीईओ पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह लग गया है। इसके साथ ही विवाह सम्मेलन पर भी सवालियां निशान लग गए है कि दो से अधिक जोड़ो के लिए यहां पर पर्याप्त व्यवस्थाएं नहीं थी।
बिना शादी के लौटा दुल्हा
खिरनी गांव के लोकेश भी दूल्हा बनकर इस समारोह में पहुंचे थे। उन्होंने बकायदा वैवाहिक रस्में पूरी कीं, लेकिन जैसे ही उन्हें यह संदेह हुआ कि शादी की रस्में करवाने वालों में मुस्लिम शिक्षक भी शामिल हैं और शायद वही पुरोहित की भूमिका निभा रहे हैं, वे हैरान रह गए। स्थिति स्पष्ट न होने पर लोकेश ने अन्य औपचारिकताएं पूरी किए बिना ही समारोह से वापसी कर ली। बाद में उनके साथ आए एक व्यक्ति ने बताया कि लोकेश अब खिरनी में ही विवाह करेगा।
लापरवाही पर डाला पर्दा
हालांकि इस पूरे प्रकरण पर जनपद पंचायत श्योपुर के सीईओ श्यामसुंदर भटनागर ने स्थिति साफ करते हुए कहा, “मुस्लिम शिक्षकों ने केवल व्यवस्थाएं संभाली थीं, वे किसी भी तरह से वैदिक मंत्रों के उच्चारण या विवाह की विधियों में शामिल नहीं थे। विवाह की सारी रस्में गायत्री परिवार के सदस्यों ने संपन्न कराई थी।
इन शिक्षकों की लगी थी ड्यूटी
उन्होंने बताया कि हर जोड़े के साथ एक-एक शिक्षक को इसीलिए लगाया गया था ता कि वे गायत्री परिवार द्वारा बताई गई प्रक्रियाओं में मदद कर सकें। शिक्षकों की सूची में इस्माइल खान, बुंदू खान, शमशाद खान, मुमताज अली, सफदर हुसैन नकवी, गजला नोमानी, इमाम अली, मुनव्वर जहां, नुजहत परवीन जैसे नाम शामिल हैं, जो अलग-अलग स्कूलों से इस आयोजन में सहभागी बने थे।